डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023

लोकसभा में कल डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल 2023 पास हो गया है, लोकसभा में पास होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पास कराना होगा जिसके बाद ये बिल कानून बन जाएगा, बता दें कि इसके पहले भी केंद्र सरकार प्राइवेसी कानून बनाने की दो बार कोशिश कर चुकी है… और कुछ जरूरी बदलाव के बाद अब इसे सहमति मिल गयी है.. इस कानून का फायदा सीधे आम जनता को होगा, अब कंपनियों को यह बताना होगा कि वे यूज़र्स से कौन से डाटा ले रही है और किन डेटा का इस्तेमाल कर रहीं हैं..
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर पहले चिंता जाहिर किया गया था.. पिछले साल दिसंबर में संसद के मानसून सत्र में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डाटा प्रोटक्शन बिल और दूरसंचार बिल पारित करने की बात कही थी जो अब लोकसभा में पास कराया जा चुका है.. फिलहाल भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जो मोबाइल और इंटरनेट चलाने पर लोगों को प्राइवेसी मुहैया करा पाए और उससे आयी दिक्कतों से कानूनी समाधान दिला पाये.. हालांकि किसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जिसके बाद इस बिल पर काम करना शुरू हुआ था..
आइए आपको बताते हैं इस बिल से जुड़े कुछ प्रावधान
- सोशल मीडिया फर्म्स को यूजर डाटा इस्तेमाल करने पर पर्सनल डाटा की सुरक्षा मुहैया करानी होगी, भले ही वे थर्ड पार्टी डाटा प्रोसेसर का इस्तेमाल कर डाटा एक्सेस कर रहा हो
- ऐसी फर्म्स को एक डाटा सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करना होगा और यूजर्स को इस बारे में जानकारी देनी होगी
- डाटा चोरी होने पर कंपनियों को डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड और यूजर को इनफॉर्म करना होगा
- केंद्र सरकार के पास भारत के बाहर के किसी भी क्षेत्र में पर्सनल डाटा के ट्रांसफर को रोकने की शक्ति होगी
- डीपीबी के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई एक अपीलीय कोर्ट द्वारा की जाएगी
- बच्चों और दिव्यांगों के पर्सनल डाटा का एक्सेस, पेरेंट्स या गार्जियंस के सहमति के बाद ही एक्सेस किया जाएगा
- डीपीबी के पास यह शक्ति होगी की पर्सनल डाटा के साथ छेड़छाड़ करने पर संबंधित फर्म्स पर जुर्माना लगा सकता है
- इस बिल के तहत फर्म्स द्वारा पर्सनल डाटा लीक होने और यूजर्स व डीपीबी को इन्फॉर्म न करने पर 250 करोड़ रुपए तक जुर्माना लग सकता है
हालांकि इस बिल में आरटीआई एक्ट को कमजोर करने की आशंका जताई जा रही है.. जिससे सरकारी अधिकारियों के निजी डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए पर्सनल डाटा का हवाला दिया जा सकता है.. जिससे आरटीआई कार्यकर्ताओं से इसे शेयर करने में दिक्कत हो सकती है..
इन सभी पहलुओं के अलावा ऑनलाइन सेंसरशिप, बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्ति… उनकी सेवा और शर्तें, गोपनीयता संबंधी शिकायतें और विवादों का निपटारा जैसे विषयों पर कोई जानकारी नहीं मिली है… फिलहाल किसी भी प्रकार का सख्त कानून न होने पर डाटा कलेक्ट करने वाली कंपनियां इसका कई दफा फायदा उठाते आई है.. बैंक क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंस संबंधी कई जानकारियां आए दिन लीक होते रहती हैं.. इस लिहाज से ऐसे कानून का आना समय की मांग है और लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक भी.. TV27 NEWS डेस्क से पूनम ऋतु सेन की रिपोर्