रायपुर : मुख्यमंत्री गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 9 सितम्बर को 23.93 करोड़ रूपए का करेंगे भुगतान
ब्रम्हास्त्र और जीवामृत की बिक्री से 60.82 लाख की आय
गौमूत्र से तैयार जैविक कीटनाशक और फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत की बिक्री से महिला स्व-सहायता समूहों को 60 लाख 82 हजार 900 रूपए की आय अर्जित हो चुकी है। गौठानों में 4 रूपए लीटर की दर से गौमूत्र खरीदकर महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं इससे ब्रम्हास्त्र और जीवामृत तैयार कर रही हैं, जिसे किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान अब महंगे रासायनिक पेस्टिसाइट के बदले जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और जीवामृत का उपयोग खेती में करने लगे हैं।
गौठानों में अब तक 2 लाख 36 हजार 81 लीटर गौमूत्र क्रय किया गया है, जिसका मूल्य 9 लाख 44 हजार 324 रूपए है। गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा गौमूत्र से अब तक 1,00,843 लीटर कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और 35,445 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत का उत्पादन किया जा चुका है, जिसका विक्रय किया जा रहा है। राज्य के किसानों द्वारा अब तक 97,024 लीटर जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और 33698 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत क्रय कर खेती में उपयोग किया गया है, जिससे समूहों को कुल 60 लाख 82 हजार 900 रूपए की आय हुई है।
गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट से पौने 6 करोड़ की आय
गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों को अब विविध आयमूलक गतिविधियों के संचालन के साथ-साथ गोबर से प्राकृतिक पेंट के उत्पादन से भी आय होने लगी है। गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट, डिस्टेम्पर और पुट्टी से 5 करोड़ 76 लाख 91 हजार रूपए की आय हुई है। वर्तमान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए गौठानों में 52 यूनिटें स्थापित की जा चुकी है, जिसमें से 50 यूनिटों में गोबर से प्राकृतिक पेंट उत्पादन किया जा रहा है। क्रियाशील यूनिटों के माध्यम से अब तक 2,50,635 लीटर प्राकृतिक पेंट, 1,12,332 लीटर डिस्टेम्पर तथा 9064 किलो पुट्टी का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 1,94,630 लीटर प्राकृतिक पेंट, 83,268 लीटर डिस्टेम्पर तथा 2840 किलो पुट्टी के विक्रय से कुल 5 करोड़ 76 लाख 91 हजार रूपए की आय हुई है।
300 रीपा स्थापित, एसएचजी को 179.70 करोड़ की आय
गौठानों में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित किए गए हैं, जहां महिला समूहों एवं ग्रामीण उद्यमियों द्वारा विविध प्रकार की आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही है। महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा गौठानों में वर्मी खाद का उत्पादन सामुदायिक बाड़ी से सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, मछली, बकरी, मुर्गी पालन, पशुपालन, गोबर, दीया, गमला, अगरबत्ती तथा अन्य गतिविधियां संचालित की जा रही है, जिससे महिला समूहों को आय हो रही है। गौठानों से 18214 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 2,14,086 है। आयमूलक गतिविधियों से महिला समूहों 179 करोड़ 70 लाख रूपए की आय हो चुकी है।
6 हजार से अधिक गौठानों में 30 क्विंटल से ज्यादा गोबर खरीदी
गोधन न्याय योजना के तहत 10,288 गांवों में निर्मित एवं संचालित गौठानों में से 6 हजार 180 गौठान ऐसे है, जहां हर पखवाड़े 30 क्विंटल या उससे अधिक की गोबर खरीदी हो रही है। बीते पांच महीनों से 30 क्विंटल या इससे अधिक गोबर खरीदी करने वाले गौठानों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। हर पखवाड़े 30 क्विंटल या इससे अधिक गोबर क्रय करने वाले गौठानों की संख्या अप्रैल 2023 में 3498, मई में 4584, जून में 5419, जुलाई में 5581 थी, जो अगस्त 2023 में बढ़कर 6180 हो गई है।
गोबर विक्रेताओं की संख्या में 46 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर विक्रेताओं की संख्या और गोबर खरीदी की मात्रा में भी हर महीने वृद्धि हो रही है। बीते एक सालों में गोबर खरीदी की मात्रा बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। अगस्त 2022 में 2.67 लाख क्विंटल गोबर खरीदा गया था, जबकि अगस्त 2023 में गोबर खरीदी की यह मात्रा बढ़कर 4.89 लाख क्विंटल हो गई है। बीते एक साल में गोधन न्याय योजना से लाभान्वित पशुपालकों की संख्या एक लाख से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। अगस्त 2022 में लाभान्वित पशुपालकों की संख्या 2,52,685 थी, जो अगस्त 2023 में बढ़कर 3,69,571 हो गई है, यह वृद्धि 46 प्रतिशत है।