November 20, 2024

आश्रम सेक्टर-1, भिलाई में 12 सितम्बर को साहित्य मनीषी डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र जी की 125 वी जयंती का आयोजन

कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच भिलाई-दुर्ग के मानव आश्रम, सेक्टर-1 में 12 सितम्बर, 2023 मंगलवार को अपराह्न 3:30 बजे से साहित्य मनीषी, मानस मर्मज्ञ डॉक्टर बलदेव प्रसाद मिश्र जी की 125 वीं जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ की समृद्ध साहित्यिक परम्परा के सुयोग्य संवाहक, अनेकों साहित्यिक पुरस्कारों से अलंकृत श्री शिवशंकर पटनायक तथा अपनी रचनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की मिट्टी का सौरभ चहुंओर बिखेरने वाले “डा. देवधर महंत जी बिलासपुर” और श्री अमरीश त्रिपाठी, प्रोफेसर हिन्दी विभाग विशिष्ट अतिथि की आसंदी को सुशोभित करेंगे।
मंच के इस पुनीत आयोजन को आप अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान करें।
मानस मर्मज्ञ स्व. डाॅ. बलदेव प्रसाद मिश्र 20 वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित कवि, साहित्यकार और राजनेता थे। राजनांदगांँव में 12 सितम्बर, 1898 में जन्में बलदेव प्रसाद मिश्र ने बी ए, एम ए, एल एल बी के साथ 1939 में “तुलसी दर्शन” पर अपना शोध प्रबंध कर “डी लिट” की उपाधि प्राप्त की। एक शिक्षाविद् के साथ वे एक कुशल प्रशासक, राजनेता के रूप में भी पहचाने जाते थे। हिन्दी साहित्य के जाज्वल्यमान नक्षत्र डाॅ. बलदेव प्रसाद मिश्र भारत के ऐसे प्रथम शोधकर्ता थे जिन्होंने अंग्रेजी शासनकाल में भी अंग्रेजी के बदले भारतीय भाषा हिन्दी में अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया और डाॅक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। नागपुर विद्यापीठ में 10 वर्षों तक हिन्दी विभाग में मानसेवी विभागाध्यक्ष रहे। बिलासपुर के एस बी आर काॅलेज तथा रायपुर के दुर्गा महाविद्यालय के प्रथम प्राचार्य भी रहें। डाॅ मिश्र हैदराबाद एवं बड़ौदा विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। वे तत्कालीन मध्यप्रदेश एवं महाकौशल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हिन्दी पाठ्यक्रम समिति के संयोजक भी रहे।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें “भारत सेवक समाज” नामक सर्वोच्च संस्था की केन्द्रिय समिति में मनोनीत किया। डाॅ मिश्र ने देश के दिल्ली, पंजाब, वाराणसी, पटना, कलकत्ता, जबलपुर, सागर, नागपुर, हैदराबाद तथा बड़ौदा विश्वविद्यालयों में डी. लिट् तक शोध छात्रों के परीक्षक के रूप में कार्य किया। उन्होंने बिलासपुर में संभागीय सतर्कता अधिकारी एवं खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद पर कार्य किया। उन्होंने मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मलेन की तीन बार अध्यक्षता भी की। इसके अलावा उन्होंने अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तुलसी जयंती समारोह में अध्यक्ष की भूमिका निभाई। वे बंगीय हिन्दी परिषद कलकत्ता के अध्यक्ष एवं मैसूर राज्य में हिन्दी के विशिष्ट व्याख्याता रहे।
उनकी रचनाओं में प्रमुख रूप से महाकाव्य “कौशल किशोर”, “साकेत संत“ और “रामराज्य” तथा अन्य रचनाओं ने साहित्यिक जगत में अमिट छाप छोड़ी है। नाटक, उपन्यास, काव्य संग्रह, के साथ-साथ छत्तीसगढ अंचल की लोक जीवन, रामायण और भगवतगीता पर अनेक पुस्तकें लिखी है। लगभग सौ से अधिक प्रकाशित संग्रहों ने हिन्दी साहित्य में डाॅ. मिश्र को एक अलग ही पहचान दी है। इसी कारण अन्य विचारकों विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण जी गुप्त, राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, पं. महावीर प्रसाद जी द्विवेदी, पं. रामचन्द्र शुक्ल, डाॅक्टर सर हरीसिंह गौर एवं डाॅ हरिवंश राय बच्चन जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों एवं कवियों ने डाॅ मिश्र की साहित्यिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में योगदान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
स्व. डाॅ. बलदेव प्रसाद मिश्र ने साहित्य के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी अपनी उल्लेखनीय सेवाएँ दी थीं। वे रायगढ, खरसिया तथा राजनांदगाँव की नगर पालिकाओं के अध्यक्ष एवं रायपुर नगर पालिका के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे। वर्ष 1972 में वे राजनांदगाँव जिले के खुज्जी विधानसभा क्षेत्र से पाँचवी विधानसभा के सदस्य चुने गये। लम्बी कर्मयात्रा और साहित्य जगत को अपने अनमोल खजाने अर्पित करने वाले डाॅ. मिश्र 4 सितम्बर, 1975 को परमपिता परमात्मा में लीन हो गये।
डाॅ. बलदेव प्रसाद मिश्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रचार-प्रसार समिति के अध्यक्ष एवं संयंत्र के पूर्व कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) एवं कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच भिलाई दुर्ग के संरक्षक श्री बी एम के बाजपेयी ने डाॅ. मिश्र की 125 वीं जयंती समारोह में पदाधिकारियों और अंचल के प्रबुद्धजनों को उपस्थित होने का आग्रह किया है।

महासचिव
कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच भिलाई-दुर्ग