छत्तीसगढ़ी व्यंजन के दीवाने हुए विदेशी मेहमान, लाल भाजी और चीला खाकर…बोले भई वाह
रायपुर। जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने आए विदेशी मेहमान छत्तीसगढ़ की लोक कला, संस्कृति और परंपराओं के दीवाने हो गए। पंथी नृत्य से लेकर सुआ, करमा और बस्तरिया नृत्य का समां ऐसा बंधा कि मेफेयर रिसार्ट में रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों से उनकी नजरें हटी नहीं, साथ ही छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद विदेशी अतिथियों को भा गया। वे वाह छत्तीसगढ़ बोलने से नहीं चूके।
छत्तीसगढ़ी पकवान लाल भाजी,चीला, फरा ,चौसेला और जिमीकांदा की सब्जी उन्हें सबसे ज्यादा पसंद आया। सोमवार को अतिथियों को कांसे की थाली में छोटी कुर्सी में बिठाकर विशेष छत्तीसगढ़ी व्यंजन परोसा गया।
कार्यक्रम नवा रायपुर में हैं, लेकिन राज्य सरकार के माध्यम से यहां उन्हें पूरे छत्तीसगढ़ के वैभव और संस्कृति से परिचय कराया जा रहा है। साथ ही उन्हें लोक परंपरा, छत्तीसगढ़ के इतिहास से लेकर सांस्कृतिक संपन्नता के बारे में बताया जा रहा है।
अमेरिका, दक्षिण कोरिया, चीन, फ्रांस, जापान, ब्रिटेन आदि देशों के प्रतिनिधिमंडल को पुरखौती मुक्तांगन की सैर कराई गई। संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने उन्हें भ्रमण कराया।
नवा रायपुर में जी-20 की बैठक के दौरान आर्थिक मुद्दों पर गंभीर चिंतन के साथ ही यहां छत्तीसगढ़ की सतरंगी छटा बिखर रही है। कार्यक्रम के समापन में भारतीय रिजर्व बैंक जनभागीदारी कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की मेजबानी करेगा।
फरा, देहाती बड़ा, चौसीला, मूंग बड़ा, चावल चीला, लाल भाजी, जिमीकांदा की सब्जी, चौलाई भाजी, करेला चना, बड़ा कढ़ी, मसूर बटकर की सब्जी, बाजरे की रोटी, तवा फुल्का, गोविंद भोग चावल, मखना लाड़ू, तिखुर और मिलेट्स फिरनी।
मेफेयर होटल एंड रिसोर्ट में राज्य सरकार की ओर से हर्बल, हैंडलूम, माटीकला के उत्पाद और मिलेट्स के लिए अलग से स्टाल गया गया है। यहां प्रतिनिधिमंडल ने उत्पादों की विशेषताओं को समझा और फिर खरीदारी की।
जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधियों को नंदनवन जूलाजिकल पार्क और एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी का दौरा भी कराया जाएगा। यहां समापन समारोह में ‘रात्रि भोज पर संवाद’ और एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा।