November 22, 2024

इस एग्जिट पोल के बाद कौन करेगा लड्डू का ऑर्डर देने की हिम्मत

 

 

छत्तीसगढ़  तेलंगाना और मिजोरम के एग्जिट पोल के नतीजे सामने हैं. राजनीतिक दल अपने हिसाब से एग्जिट पोल की व्याख्या भी कर रहे हैं. जो नतीजे सूट नहीं कर रहे उसे खारिज कर रहे हैं. जो नतीजे सूट कर रहे हैं उसे औपचारिक नतीजा बता पाने में परहेज नहीं कर रहे यहां हम बात करेंगे कि आखिर वो कौन सा दल होगा

जो इन नतीजों को देखकर लड्डू बनवाने की हिम्मत करेगा. भारत के चुनावी इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब एग्जिट पोल एग्जैक्ट पोल में तब्दील नहीं हुए और लड्डू बनवाने या बंटवाने का सपना अधूरा ही रह गया.

वैसे तो छोटे मोटे चुनाव में उम्मीदवार चुनावी नतीजों के ऐलान के पहले ही लोगों का मुंह मीठा कराने के लिए लड्डू बनवाने का काम शुरू कर देते हैं. लेकिन यहां हम जिक्र करेंगे 2008 दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों की.

दरअसल 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों पर उम्मीद टिकी हुई थी शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस तीसरी बार चुनाव लड़ रही थी. बीजेपी के रणनीतिकारों को यकीन था कि सत्ता विरोधी लहर का उन्हें फायदा होगा.

एग्जिट पोल के आंकड़े में करीब करीब उनके पक्ष में जा रहे थे. अब एग्जिट पोल को ही एग्जैक्ट पोल मानकर बीजेपी के नेता लड्डू बनवाने के अभियान में जुट गए और जब नतीजा आया तो शीला दीक्षित एक बार फिर विजयी होकर सामने आईं और बीजेपी की उम्मीद तीसरी बार टूट गईं. बता दें कि 1998 में अंतिम बार दिल्ली में बीजेपी का शासन था जिसकी अगुवाई सुषमा स्वराज ने किया था.

इसी तरह 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव पर गौर करिए. उस चुनाव में जितने भी एग्जिट पोल थे उसमें बीजेपी के बंपर बढ़त के आंकड़े पेश किए गए थे. हालांकि सिर्फ एग्जिट पोल के नतीजे अलग थे. स्वाभाविक सी बात है कि एग्जिट पोल के अनुमानों के बाद बीजेपी ने जश्न की तैयारी शुरू कर दी थी.

मतों की गिनती से पहले ही बीजेपी कैंप में मिठाइयां बनने लगी थीं. जाहिर सी बात है कि एग्जिट पोल के नतीजे उनकी उम्मीदों को जिंदा किए हुए थे. लेकिन जब ईवीएम के पेट से वोट बाहर निकलने लगे तो हर कोई दंग रह गया.

खुद चुनाव विश्लेषक, एग्जिट पोल के जाने माने विशेषज्ञों को बोलते कुछ नहीं बन रहा था. शायद एग्जिट के पोल के इतिहास में भी पहला मौका रहा होगा जब अनुमान पूरी तरह से मुंह के बल गिर पड़ा था.

यही नहीं 2022 बिहार के कुढ़नी विधानसभा का जिक्र करना भी दिलचस्प है. वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी को यकीन था कि क्या बीजेपी, क्या जेडीयू- आरजेडी गठबंधन दोनों को रौंदते हुए वो जीत हासिल करेंगे. जीत की उम्मीद का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जिस दिन काउंटिंग होने वाली थी.

उससे ठीक एक दिन पहले ही उन्होंने शुद्ध घी के लड्डू बनवाना शुरु कर दिये. लेकिन जब नतीजे आए तो उनकी उम्मीदों पर पानी फिर चुका था. लड्डू मिठास देने की जगह कड़वा नजर आने लगे थे. बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों ने तो यहां तक कह दिया कि जीत तो हासिल नहीं कर सके वोटकटवा की पहचान जरूर बना ली.

अब अगर पांचों राज्यों के एग्जिट पोल पर गौर करें तो तेलंगाना ही एक ऐसा राज्य है जहां बीआरएस की जीत मिलती नजर आ रही है. बाकी तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के एग्जिट पोल के नतीजों से शायद ही कोई भी राजनीतिक दल चैन की सांस ले रहा होगा.

कुछ ही एग्जिट पोल ऐसे हैं जो कांग्रेस या बीजेपी की जीत का अनुमान लगा रहे हैं. ज्यादातर अनुमानों में नतीजे कभी भी किसी के पक्ष में बन या बिगड़ सकते हैं. ऐसे में औपचारिक नतीजों से पहले शायद ही कोई लड्डू बनवाने के बारे में सोचे.