जब श्री राम के बालरूप के दर्शन के लिए अयोध्या की गलियों में घूमते थे महादेव
सनातन धर्म में परमपूज्य श्री राम का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ के घर हुआ था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं और सृष्टि पर उनका अवतरण धर्म की स्थापना और साधु-संतों की रक्षा के लिए हुआ था. इसी काल में भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार हनुमान जी भी अवतरित हुए थे. धार्मिक ग्रंथों में यह विदित है कि जब प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था तब भगवान शिव स्वयं प्रभु के दर्शन के लिए अलग-अलग वेष धारण अयोध्या में आए थे.
कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि ‘जिनके नाम का मैं हमेशा सुमिरन करता हूं, उनका अवतरण जल्द ही धरती पर होने जा रहा है.’ तब उन्होंने यह इच्छा व्यक्त की कि वह भगवान विष्णु के स्वरूप श्री राम की सेवा कर अपने युगों की मनोकामना को करना चाहते हैं. तब माता पार्वती ने भोलेनाथ से पूछा कि श्री राम का अवतरन रावण का वध करने के लिए हो रहा है और रावण आपका अनन्य भक्त, तब आप कैसे श्री राम की सहायता करेंगे?
भगवान शिव मन ही मन मुस्कुराते हुए बोले- ‘जब रावण ने मेरी उपासना के लिए अपने दस सिरों को काट लिया था, तब उसने मेरे अंतिम और ग्यारहवें अंश की उपासना नहीं की थी. अब मैं उसी अंश के रूप में श्री राम की सेवा कर सकता हूं और युद्ध के दौरान उनकी सहायता कर सकता हूं.’
प्रभु श्री राम के दर्शन के लिए अयोध्या में वेष बदल-बदल कर घूमे थे महादेव
रामचरितमानस में यह वर्णन मिलता है कि अयोध्या नरेश दशरथ के में में राजभवन जब प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था, तब अयोध्या नगरी में महोत्स्व मनाया जा रहा है. प्रभु के दर्शन के लिए अयोध्यावासियों के साथ-साथ देवता भी अलग-अलग रूप धारण कर धरती पर आ रहे थे. ब्रह्मा जी समेत सभी देवता भगवान का दर्शन कर लौट गए, लेकिन भगवान शिव प्रभु के बाल स्वरूप को देखकर इतने मोहित हो गए कि वह विभिन्न वेष धारण कर श्री राम के दर्शन के लिए अयोध्या में घूमने लगे. कभी गायक के रूप में तो कभी साधु के रूप में, जब भी उन्हें मौका मिलता है वह राजदरबार पहुंच जाते थे.
एक दिन महादेव महाविद्वान वृद्ध ज्योतिष का रूप धारण करके राजा दशरथ के पुत्रों का फलादेश बताने के बहाने राजभवन आए. जब फलादेश बताने के लिए उन्होंने श्री राम को अपनी गोद में लिया तो उनका मन आनंदित हो गया. वह कभी प्रभु के कोमल हाथों को सहलाते तो कभी चरणों को स्पर्श करते. इस प्रकार महादेव प्रभु के दर्शन के लिए कई बार अयोध्या में आए.