November 24, 2024

सरोजिनी नायडू की जयंती पर क्यों मनाया जाता हैं राष्ट्रीय महिला दिवस?…. पढ़े पूरी स्टोरी

 

आज भारत की प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, कवयित्री और शिक्षाविद कोकिला सरोजिनी नायडू का जन्मदिन है. भारत की कोकिला के नाम से विख्यात सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत थीं.

जानी-मानी कवयित्री, और स्वतंत्रता सेनानी, प्रतिभाशाली राष्ट्रीय नेता सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था. पूरा देश सरोजिनी नायडू की 145वीं जयंती मनाने जा रहा है. सरोजिनी नायडू का महिलाओं के विकास में महत्वपूर्व योगदान रहा है. उनके योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है.

महत्व

आज भारत में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं. शिक्षा, विज्ञान, कला, खेल, राजनीति, व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर रही हैं. महिलाओं ने सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को प्रेरित करने और लैंगिक समानता की दिशा में काम करने का विशेष दिन है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि महिलाएं समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनके योगदान को स्वीकार करना और उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है.

जानें कौन थीं सरोजिनी नायडू

भारत की पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू का जन्म हैदराबाद के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय ने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से विज्ञान में PHD की उपाधि हासिल की थी और निजाम कॉलेज के प्रिंसिपल थे. उनकी मां बरदा सुंदरी देवी चट्टोपाध्याय कवयित्री थी, जो बंगाली में कविताएं लिखती थीं. सरोजिनी नायडू ने अपनी शिक्षा चेन्नई से पूरी की. बाद में हायर एजुकेशन के लिए लंदन और कैम्ब्रिज चली गईं. उनकी शादी आंध्र प्रदेश के डॉक्टर पैदिपति गोविंदराजुलु नायडू से हुई थी.

सरोजिनी नायडू को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रेजिडेंट के रूप में नियुक्त किया गया था. बाद में 1947 में संयुक्त प्रांत (यूपी ) की गवर्नर बनीं. सरोजिनी नायडू ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा. सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला की उपाधि महात्मा गांधी ने दी थी. नायडू का भारतीय संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा था. 2 मार्च 1949 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया

साहित्य की रानी सरोजिनी नायडू

सरोजिनी नायडू, जिन्हें प्यार से ‘भारत की कोकिला’ कहा जाता है, न केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं, बल्कि एक प्रतिभाशाली कवयित्री भी थीं. उनकी रचनाएं भावनाओं, कल्पनाओं और देशभक्ति से भरी हुई हैं. उनकी साहित्यिक कृतियों में द गोल्डन थ्रेशोल्ड (1905), द बर्ड ऑफ टाइम: सॉन्ग्स ऑफ लाइफ, डेथ एंड द स्प्रिंग (1912), द ब्रोकन विंग: सॉन्ग्स ऑफ लव, डेथ एंड द स्प्रिंग (1917), द गिफ्ट ऑफ इंडिया (1918), द सेप्ट्रेड बांसुरी: भारत के गीत (1935), किताबिस्तान (1944), द इंडियन वीवर्स (1945) शामिल हैं.