बीएसपी के एलडीसीपी आरएमपी-3 ने सर्वाधिक उत्पादन का डे रिकॉर्ड दर्ज किया
भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थापित सेल के मॉडेक्स इकाई योजना के तहत, आरएमपी-3 एक नई शॉप है। इसका प्राथमिक कार्य फ्लक्स का कैल्सीनेशन है, जिसे स्टील शुद्धिकरण में उपयोग के लिए स्टील मेल्टिंग शॉप को आपूर्ति की जाती है। इस्पात निर्माण में दैनिक मांग को पूरा करने के लिए, चूना और कैलक्लाइंड डोलोमाइट जैसे उचित फ्लक्स की उपलब्धता आवश्यक है। इसलिए, इस मांग की आपूर्ति हेतु, आरएमपी-3 ने 11 फरवरी 2024 को 2145 टन का एक दिन में उच्चतम उत्पादन हासिल कर सर्वाधिक उत्पादन का डे रिकॉर्ड बनाया है, जो 31 अक्टूबर 2023 को दर्ज किए गए 2105 टन के अपने पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया।
इस सफलता के जश्न में, मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (लौह) श्री तापस दासगुप्ता ने आरएमपी-3 का दौरा किया और टीम को बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए, सभी से भविष्य में लगातार सुधार की अपील की। महाप्रबंधक (एलडीसीपी आरएमपी-2 और 3) श्री रतन कुमार मुखर्जी ने उत्कृष्टता के लिए विभाग की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा, कि शॉप ने 2023-24 में दर्ज 496302 टन के पिछले वार्षिक सर्वश्रेष्ठ उत्पादन रिकॉर्ड को निर्धारित समय से दो महीने पहले ही पार कर लिया है। महाप्रबंधक (एलडीसीपी) श्री सुशांत पाल, महाप्रबंधक (एलडीसीपी) श्री संजय नाइक, और महाप्रबंधक (एलडीसीपी) श्री दिगेंद्र कुमार वर्मा सहित आरएमपी-3 के कर्मचारियों, संविदा कर्मी और अधिकारीगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि आरएमपी-3 पांच वर्टिकल पीएफआर प्रकार के गैस-फायर्ड किल्न और अत्याधुनिक तकनीक से युक्त है, जो इसे सबसे किफायती विकल्प बनाता है। आरएमपी-3 के कर्मचारी उत्पादन और संयंत्र की फ्लक्स मांग को पूरा करने के लिए समर्पित हैं और कड़ी मेहनत करते हैं। इसके अतिरिक्त, वे प्रतिस्पर्धी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, और कई राष्ट्रीय स्तर की प्रशंसाएँ प्राप्त कर चुके हैं। पर्यावरण अनुकूल कार्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, उन्होंने सिंचाई के लिए अपशिष्ट जल का उपयोग करते हुए बड़ी बंजर भूमि पर पेड़ उगाने के लिए वृक्षारोपण अभियान शुरू किया है – जो एक सराहनीय प्रयास है।
इसके अलावा, आरएमपी-3 के गैस-फायर्ड किल्न के उपयोग को बढ़ाकर महत्वपूर्ण लागत बचत प्राप्त की गई है, जिसके परिणामस्वरूप आरएमपी-2 के ऑइल-फायर्ड किल्न का कम उपयोग करते हुए अब तक लगभग 24.50 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
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दिनांक 13.02.2024
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग तथा संयंत्र द्वारा विभागीय सुरक्षा अधिकारियों की बैठक आयोजित
भिलाई इस्पात संयंत्र के सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग तथा उप-संचालक (औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, दुर्ग संभाग, छ.ग.) कार्यालय के संयुक्त तत्वाधान में, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा बैठक विषय पर, भिलाई इस्पात संयंत्र के अंतर्गत संचालित विभिन्न कारखानों के सुरक्षा अधिकारियों की बैठक 13 फरवरी 2024 को संयंत्र के मानव संसाधन विकास विभाग में आयोजित की गयी। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उप-संचालक (औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, दुर्ग संभाग) श्री आशुतोष पांडेय के द्वारा की गई।
इस अवसर पर, श्री आशुतोष पांडेय के साथ मुख्य महाप्रबंधक (सुरक्षा एवं अग्निशमन) श्री प्रवीण रॉय भल्ला, मुख्य अग्निशमन अधिकारी (अग्निशमन) श्री बी के महापात्रा तथा महाप्रबंधक (सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग) श्री तुलसीदासन मंचासीन थे।
श्री आशुतोष पांडेय ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा, कि संयंत्र में कुल 43 कारखानें हैं, जिनमें से कुछ जोखिमपूर्ण कार्यस्थलों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य भिलाई इस्पात संयंत्र की सुरक्षा व्यवस्था को श्रमिकों के लिए बेहतर बनाना तथा वर्तमान सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा करना है। उन्होंने सभी विभागीय सुरक्षा अधिकारियों से विभाग में लागू एवं संचालित सुरक्षा व्यवस्था का जायजा भी लिया गया। साथ ही उपस्थित सभी अतिथियों ने भी विभागीय सुरक्षा अधिकारियों से अपने विचार साझा किये।
स्वागत उद्बोधन श्री प्रवीण रॉय भल्ला के द्वारा दिया गया। वरिष्ठ प्रबंधक (सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग) श्री अजय टालू ने बैठक में उपस्थित लोगों को सुरक्षा की शपथ दिलाई। महाप्रबंधक (एसएमएस-III) और डीएसओ श्रीमती पुष्पा एम्ब्रोस ने एसएमएस-III में हाल ही का एक नियर मिस केस साझा किया, जिसे सुरक्षा प्रोटोकॉल के सख्त पालन और विभागीय कर्मचारियों के सहयोग से रोका गया था।
भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर से सुरक्षा सम्बन्धी आवश्यक कार्यवाही हेतु, उक्त बैठक में निर्धारित आठ सूत्रीय एजेंडा पर चर्चा की गई। इस बैठक में, नियोजित श्रमिकों के कार्य के दौरान अपनाए गए सुरक्षा उपायों एवं जोखिमपूर्ण कार्यस्थलों की पहचान व जोखिमों का आकलन इत्यादि के संबंध में चर्चा की गई। कारखाने के अंतर्गत सुरक्षा अधिकारियों की सक्रिय भूमिका, उनकी निहित जिम्मेदारीयों, सुरक्षा अधिकारियों की मेंटेनेंस संबंधी समस्त कार्यों की जानकारियां एवं उन कार्यों को सुरक्षापूर्वक तरीके से निष्पादित किये जाने के संबंध में बात की गई। कारखाने के अंतर्गत, सेफ्टी वर्क प्रोटोकॉल / SOP के पालन के संबंध में, मेंटनेंस सुपरवाइजर एवं सक्षम जिम्मेदार अधिकारी / अधिकारियों को सुरक्षा के संबंध में पर्याप्त रुप से सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान करने के विषय पर बातचीत की गई। साथ ही कारखानें के अंतर्गत कार्यरत श्रमिकों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिये जोखिम रहित कार्य-प्रणालियों की व्यवस्था के संबंध में विचार किया गया। नियोजित श्रमिकों को पर्याप्त रुप से सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान किया जाना एवं कार्य के दौरान सक्षम जिम्मेदार अधिकारी/अधिकारियों के पर्यवेक्षण/निगरानी में कार्य के निष्पादन के संबंध में विचार विमर्श किया गया। उक्त बैठक में कारखाने के अंतर्गत दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा पर भी चर्चा की गई।
कार्यक्रम का संचालन महाप्रबंधक (सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग) एस के महतो ने किया।
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