November 23, 2024

छत्तीसगढ़ जैव विविधता से पूर्ण राज्य, वनों और वन्य जीवों के संरक्षण में जनजाति समाज की अहम भूमिका-केदार कश्यप*

 

*सीमित संसाधनों में जीवनयापन करने वाले हमारे पूर्वजों ने जैव विविधता को संरक्षित किया-केदार कश्यप*

*जनजाति समाज का प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम- केदार कश्यप*

नारायणपुर। वनों में रहने वाले जनजाति समाज ने कभी इसे हानि नहीं पहुंचाया। वनों पर आधारित जीवन होने के बावजूद सीमित संसाधनों में हमारे पूर्वज जीवनयापन करते आये हैं। हमारे वनवासी और जनजाति समाज के लोगों ने वनों को सहेजने का कार्य किया है।

यह बात वन मंत्री व नारायणपुर विधान सभा के विधायक केदार कश्यप ने नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन में छत्तीसगढ़ बायो डाइवर्सिटी बोर्ड एवं सेवावर्धिनी छत्तीसगढ़ के द्वारा “जनजाति क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण एवं संवर्धन’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही।

वनमंत्री कश्यप जी ने कहा कि जैव विविधता व्यापक और विस्तृत विषय है, सृष्टि के आदर्श स्वरूप के लिये जैव विविधता का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है, इस सन्दर्भ में गीता का एक श्लोक है

“ईश्वर सर्वभूतानां हृदये अर्जुन तिष्ठति”

इसका भाव यह है कि प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास है। इस दृष्टि से जीव जगत की विविधता ही जगत की सुंदरता है। जैव विविधता पृथ्वी की समृद्धता की परिचायक है, यह प्रकृति की विविध जीवमंडल से सम्बन्धित है। वस्तुतः जैव विविधता पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीव प्रजातियों के बीच के सम्बंध को दर्शाता है। यह पारिस्थिकी और आर्थिक महत्व रखता है। यह हमें पोषण आवास, ईंधन, वस्त्र अन्य संसाधन प्रदान करता है, साथ ही जैव विविधता पर्यटन से भी जुड़ा है। वनमंत्री केदार ने कहा कि छतीसगढ़ के परिपेक्ष्य में जहां तक जैव विविधता को हम देखें तो गौरव की अनुभूति होती है।

छत्तीसगढ़, भारत का 10वां सबसे बड़ा समृद्ध संस्कृति, विरासत एवं आकर्षक प्राकृतिक विविधता से सम्पन्न है। दस हजार वर्षों पुरानी सभ्यता के साथ भारत के केंद्र में स्थित यह ‘आश्चर्यों से भरा राज्य उन पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है, जो प्राचीनता का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं।

छत्तीसगढ़ एक विशिष्ट भारतीय अनुभव प्रदान करता हैं। देश के सबसे विस्तृत झरने, गुफाएं, हरे-भरे जंगल, प्राचीन स्मारक, दुर्लभ वन्यजीव, उत्कृष्ट नक्काशीदार मंदिर, बौद्ध स्थल और पहाड़ी पठार इस राज्य में विद्यमान हैं। छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत से अधिक जैव विविधता पाई जाती है, जो पूरे देश में कहीं भी नहीं पाई जाती है। 32 प्रतिशत जनजातीय आबादी के साथ इस राज्य का 44 प्रतिशत हिस्सा वनों से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है।

जो अद्वितीय आदिवासी कला, शिल्प और परंपराओं की खोज करना चाहते हैं। सदियों से इसके आदिवासी समुदायों ने पर्यावरण की अनुकूल प्रथाओं के माध्यम से प्राकृतिक आवास को पोषित एवं संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ में पर्यटकों को कला और वास्तुकला, विरासत, हस्तशिल्प, व्यंजन, मेले एवं त्योहार जैसा बहुत कुछ देखने को मिलता है।

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ का उल्लेख अनेक कथाओं में मिलता है, जिनमें भारत के दो महान महाग्रंथ रामायण एवं महाभारत भी शामिल हैं। भारत का सबसे चौड़ा झरना चित्रकूट भी इसी राज्य में है। मानसून में जब इंद्रावती नदी पूरे प्रवाह में होती है, तब बस्तर जिले में स्थित यह जलप्रपात 980 फुट चौड़ा हो जाता है। छत्तीसगढ़ में देवी-देवताओं और कई मंदिरों की विरासत है। बैकुंठपुर कोरिया के हसदेव नदी तट पर 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्म (Marine fossils) को संरक्षित करने फॉसिल्स पार्क (Fossils park) बनाया गया।

*जनजाति समाज ने जैव विविधता को संरक्षित किया*

मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि वनों में रहने वाले जनजाति समाज ने कभी वन को हानि पहुंचाने का काम नहीं किया है। वनों पर आधारित जीवन होने के बावजूद सीमित संसाधनों में हमारे पूर्वज जीवनयापन करते आये हैं। हमारे वनवासी और जनजाति समाज के लोगों ने वनों को सहेजने का कार्य किया है। मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि प्रत्येक जनजाति समाज के घर-बाड़ी में हमें 20-25 अलग-अलग पेड़ पौधे अवश्य मिलेंगे। जनजाति समाज का प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम है।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय जनजाति हितरक्षा प्रमुख गिरीश कुबेर जी,अखिल भारतीय जनजाति शिक्षा प्रमुख सुहास देशपांडे जी, प्रान्त संगठन मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम रामनाथ कश्यप जी एवं विभागीय अधिकारी सीएस मनोज पिंगुआ, पीसीसीएफ श्रीनिवास राव, अरुण पांडेय, प्रभात मिश्रा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

You may have missed