छग मे डबल इंजन की सरकार बनने के कुछ ही महिने में जनता करने लगी त्राहि-त्राहि
लोकसभा के मतगणना के पहले ही लगा लोगों को जोर का बिजली का झटका
टोलटेक्स में बढा दिये पांच प्रतिशत, खाद,जमीन रजिस्ट्री,अमूल दूध, अरहर
बीज सहित कृषि के कई चीजों के भी बढ गये दाम
केन्द्र में सरकार बनने के बाद देखिये और किन किन चीजों की आमजनता को
झेलनी पडेगी मार
भिलाई। विकास के नाम पर डबल इंजन की सरकार बनाने विधानसभा चुनाव में जमकर
भाजपा द्वारा लोगों को लोकलुभावने वादे किये गये। लेकिन भाजपा की करनी और
कथनी अब खुलकर सामने आने लगी। सुशासन की सरकार कहलाने वाली डबल इंजन की
सरकार से मात्र पांच महिने में ही आम जनता अब त्राहि त्राहि करने लगी है।
इस पाचं महिने में ही मतगणना के पहले ही छत्तीसगढ ने कांग्रेस की पूर्व
सरकार द्वारा हाफ बिजली बिल को ताक पर रखकर उल्टा और बिजली बिल को बढाकर
आमजनता पर और बोझ बढा दिये। वहीं केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश में
टोलनाकाओं पर भी टोल टेक्स पांच प्रतिशत बढा दिये। गरीब किसानों कि
हितैशी होने का ढिंढोरा पीटने वाली ये भाजपा सरकार खेती कृषि के अन्य कई
चीजों के साथ ही खेती किसानी के लिए मिलने वाले खाद के भी मूल्य में जहां
वृद्धि कर दी है वहीं अरहर के बीज में भी 36 सौ रूपये क्विंटल बढाकर
किसानों को भी जमकर झटका दिया है। अभी वर्तमान में अरहर दाल दो सौ रूपये
के करीब है तो आने वाले दिनों अरहर के बीज और बढे हुए खाद के मूल्यों सें
अंदाजा लगाया जा सकता है कि अरहर का दाल भी ढाई सौ से तीन सौ रूपये किलों
बिकने वाली है, जो आम गरीबों की थाली से अरहरदाल गायब होने वाली है।
ज्ञातव्य हो कि छत्तीसगढ जहां पूरे हिन्दुस्तान में सरप्लस बिजले के लिए
मशहूर है,यहां अधिकांश राज्यों को बिजली सप्लाई की जाती है। यहां बिजली
बनाने राज्य की संपदाओं को जमकर दोहन हो रहा है, यहां बिजली उत्पादन अधिक
होने के कारण यहा के लोगो को जहां कम दर पर बिजली मिलनी चाहिए वहीं यहां
भाजपा की डबल इंजन की सरकार द्वारा हाफ बिजली बिल की जगह और बिजली का दर
मनमाने तरीके से बढा दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेषश बघेल ने एक माह पूर्व ही आम जनता को अगाह किया
था कि आप लोगों ने भाजपा की डबल इंजन की सरकार तो बना दिये लेकिन अब
देखियों ये किस किस चीज में झटका देगी। उन्होंने लोकसभा चुनाव क ेबाद
सबसे पहले छग में कांग्रेस द्वारा किये गये हाफ बिजली बिल को खत्म कर
उल्टा बिजली का दर और अधिक सरकार द्वारा बढाये जाने का दावा किया था जो
सच साबित हो रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य सर प्लस बिजली के नाम से जाना एवं पहचाना जाता है।
छत्तीसगढ़ में बनने वाली बिजली अन्य राज्यों को भी बेची जाती थी। पूर्व
की कांग्रेस सरकार में जहां इस प्रदेश की जनता को हाफ बिजली योजना का लाभ
मिला करता था। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ राज्य में डबल इंजन की सरकार
,सुशासन की सरकार, के पांच माह के शासनकाल में ही जनता त्राहि- त्राहि
नजर आ रही है।
जहां एक और प्रकृति की मार भीषण गर्मी लू के प्रकोप से लोगों की प्रदेश
में जान तक चले जा रही है । प्रदेश सरकार में बैठे नौकरशाह इस भीषण गर्मी
में बचने के लिए कितने सजग है ये लोगों की मौतों के आंकड़े प्रत्येक जिले
में देखे जा सकते हैं । वहीं दूसरी ओर सुशासन की सरकार ने चुनावी परिणाम
आने के पहले ही जनता को बड़ी हुई बिजली दर (20 पैसा) प्रति यूनिट जो 1
जून से प्रभावशील हो गई है। यही नही एक ओर जहां कांग्रेस की सरकार ने
जमीन रजिस्ट्री में तीस प्रतिशत छूट दी थी वहीं प्रदेश की नई भाजपा सरकार
ने इस छूट को भी बंद कर अब जमीन रजिस्ट्री के दर में भी भारी बढोत्तरी कर
दी है जिसके कारण अब जमीन रजिस्ट्री आम लोगों के पहूंच से दूर होते जा
रही है, और अब आम आदमी जमीन लेने की पहुंच से भी दूर होते जा रहे हैं, अब
ऐसा लग रहा है कि जमीन लेने का कार्य केवल रसूखदार ही कर पायेंगे। इसके
अलावा छ: माह में ही फिर से अमूल दूध का कीमत भी सोमवार 3 जून से बढा दी
गई हैं, इसके नतीजा ये होगा कि अब सभी दूध कंपनियों भी अपने दूध का रेट
धडाधड बढायेंगीं।
ऐसे प्रतीत होता है की महतारी वंदन योजना का जो पैसा प्रतिवर्ष 12000
माता बहनों को जो देना है। उसकी भरपाई कहीं ना कहीं सुशासन में बैठे
नुमाइंदो व नौकरशाह के द्वारा जनता पर जहां एक और आर्थिक बोझ बढ़ा रहे
हैं । वही इस और महतारी वंदन योजना की भरपाई के लिए प्रदेश का खजाना खाली
ना हो। जहां एक तरफ शराब के मूल्यों में वृद्धि की गई ,बिजली दर बढ़ाई
गई,और सबसे मजेदार बात यह है कि इस वर्ष के विधानसभा चुनाव के पहले सत्ता
में आने से पहले भाजपा के नेता भूपेश सरकार पर शराब बंदी, महादेव सट्टा
,ओपन बार (खेल मैदानों) जैसे गंभीर आरोप लगाकर सत्ता हासिल तो जरूर कर
ली, लेकिन सुशासन में बैठे नुमाइंदो व नौकरशाह जनता के कितनी परवाह
है,ये सब यह अब जनता सब देख रही है समझ रही है । वही सुशासन की सरकार में
लगातार आहतों का संचालन ठेका करके किया जा रहा है ,जो कि अब शराब दुकानों
के सामने संचालित भी हो गए हैं। सुशासन की सरकार की कथनी और करनी में
कितना अंतर है ,ये जनता देख व समझ चुकी है लेकिन बेचारी जनता क्या करें
,जिस विपक्ष को अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना चाहिए अब वह
सत्ता जाने के बाद दब्बू सी हो गई है पूर्व की कांग्रेस सरकार के
बड़े-बड़े नेता जब सत्ता में थे, तो वह देश के प्रधानमंत्री ,गृहमंत्री
तक पर भी कटाक्ष करने से, आरोप प्रत्यारोप लगाने में जरा भी नहीं चूकते
थे लेकिन सत्ता जाने के बाद अब यह नेता द्वय कांग्रेसी आखिरकार इतने शांत
क्यों हो गए हैं । यदि सत्ता में पुन: काबिज होना है तो जनता के
जनकल्याणकारी कार्यो के प्रति कांग्रेस के नेताओं को मुखर होना पडेगा और
अक्रामक ढंग से धरना प्रदर्शन व रैली कर आम जनता की आवाज को उठाना पडेगा
नही तो आगामी 15 सालों तक कांग्रेस सत्ता में फिर काबिज होगी यह भूल
जाये। जनता ने जब कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका अदा करने का दायित्व
दिया है तो उसे भी सही ढंग से कांग्रेसी नही निभा पा रहे है क्योंकि आज
कल कांग्रेस के अधिक नेता हवा हवाई और ऐसी में आराम करने वाले और गुटबाजी
में मशगूल हो गये हैंैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस की स्थिति और दिन
प्रतिदिन कमजोर होते जा रही है। यदि फिर से कांग्रेस को आगामी पांच सालों
में सत्ता में आना है तो अभी से आमजन की जनकल्कायाणकारी कार्यों, बढती
बेतहाशा मंहगाई,व जनता की समस्याओं को मुखर होकर उठाना होगा।