जनसंघ के संस्थापक श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित किया*
डॉ.श्याम प्रसाद मुखर्जी का जीवन पूरा एक विचारधारा को समर्पित था
*विधायक श्री ललित चंद्राकर*
दुर्ग/दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र रिसाली मंडल के वार्ड 22 में भारतीय जनसंघ के संस्थापक, प्रखर राष्ट्रवादी एवं महान शिक्षाविद एवं अपने विचारों एवं सिद्धांतों से राजनीति में उच्च आदर्श स्थापित करने वाले,जनसंघ के संस्थापक श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि दिया गया इस अवसर पर विधायक दुर्ग ग्रामीण माननीय श्री ललित चंद्राकार जी, श्री शैलेन्द्र साहू जी नेता प्रतिपक्ष,सांसद प्रतिनिधि श्री दीपक पप्पू चंद्राकर जी, वार्ड -22 पार्षद श्रीमती रमा साहू जी,महामंत्री दशरथ साहू जी, महामंत्री राजु जंघेल जी,श्री जितेन्द्र कुमार टेमरे जी,श्री नितीश बिजोरिया , पार्षद मनीष यादव, सविता धवज, अनुपमा गोस्वामी, ललिता सिंह, सुषमा सिंह, शेष जांगड़े, प्रणिता शर्मा,विक्की सोनी,युवा मोर्चा अध्यक्ष नरेंद्र निर्मलकर,अजीत चौधरी, अनुपम साहू, आशपूरन चौधरी, डी साई, राकेश त्रिपाठी, पूर्व मंडल अध्यक्ष अमृत देवांगन, डामन सर्वा, पूनमचंद सपहा , अंचल यादव, विकास, राकेश शुक्ला, महेंद्र चौहान, दिलीप, जी. एल. साहू, जीवनलाल सिन्हा, जमुना कुशवाहा, कमलेश हिरवानी, मनीष सोनी, अजीत सिरवरके कौशिक चौधरी, रुद्र नारायण ,एवं समस्त कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे l
*एक विचारधारा को समर्पित था पूरा जीवन*…
इस अवसर पर दुर्ग ग्रामीण विधायक श्री ललित चंद्राकर ने जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक विचारधारा के लिए अपना पूरा जीवन लगाया। वो कभी सत्ता पर बैठने के लिए नहीं आए थे। वे अनेक बार सत्ता में आए और हमेशा विचारधारा के लिए सत्ता को त्यागा। बंगाल में मंत्री पद विचारधारा के लिए त्याग दिया था। पंडित नेहरू की पहली कैबिनेट में मुखर्जी उद्योग मंत्री बने। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के छद्म धर्म निरपेक्षता के खिलाफ आवाज उठाई थी।
*पीएम मोदी ने साकार किया डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना*
दुर्ग ग्रामीण विधायक श्री ललित ने कहा कि आज अखंड भारत के स्वप्नदृष्टा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘बलिदान दिवस’ है। हम सब जानते हैं कि 1947 में भारत आजाद होता है। 1950 में भारत अपना संविधान लागू करता है।
*चंद्राकर ने कहा* कि संविधान लागू करने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़कर राष्ट्रीय अखंडता को गंभीर चोट पहुंचाने का प्रयास किया था। उस समय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उद्योग एवं रसद मंत्री का पद त्याग दिया और देश की प्रतिष्ठा, अखंडता के लिए कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए एक व्यापक आंदोलन शुरू किया।
भारतीय जनसंघ के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने कश्मीर सत्याग्रह अभियान शुरू किया था। इसके लिए उन्हें अपने प्राणों की आहुति तक देनी पड़ी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना आज पीएम मोदी के नेतृत्व में कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करके साकार हुआ है।