हाथरस से पहले इन 14 हादसों से दहल उठा था देश, खत्म हो गई कई परिवारों की पुश्तें
हाथरस: 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के फुलरऊ गांव में भोले बाबा उर्फ सूरजपाल का सत्संग आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग सत्संग सुनने के लिए पहुंचे थे। जैसे ही सत्संग का समापन हुआ, वहां अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें 121 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। इस घटना के संबंध में पुलिस ने मुख्य सेवादार देव प्रकाश और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह पहली बार नहीं है जब भगदड़ के कारण इतने लोगों की जान गई हो।
यह घटना दुखद रूप से देश भर में पहले हुई ऐसी ही घटनाओं की याद दिलाती है, जहां धार्मिक उन्माद के कारण मंदिरों और अन्य पवित्र स्थलों पर जानलेवा भगदड़ मची थी:
31 मार्च, 2023 को इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के हवन कार्यक्रम के चलते एक प्राचीन ‘बावड़ी’ (कुएं) के ऊपर बनी स्लैब के ढह जाने से 36 व्यक्तियों की मौत हो गई।
1 जनवरी, 2022 को जम्मू-कश्मीर में प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ की वजह से भगदड़ मच गई। इसमें 12 व्यक्तियों की मौत हो गई एवं एक दर्जन से ज्यादा लोग चोटिल हो गए।
14 जुलाई, 2015 को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में ‘पुष्करम’ उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मच गई। इसमें 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई तथा 20 अन्य चोटिल हो गए।
3 अक्टूबर, 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में भगदड़ मच गई। इसमें 32 लोगों की मौत हो गई तथा 26 अन्य चोटिल हो गए।
13 अक्टूबर, 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के चलते भगदड़ मच गई। इसमें 115 लोग मारे गए और 100 से अधिक लोग चोटिल हो गए।
19 नवंबर, 2012 को पटना में गंगा नदी के किनारे अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से भगदड़ मच गई। इसमें करीब 20 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य चोटिल हो गए।
8 नवंबर, 2011 को हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे हर-की-पौड़ी घाट पर अचानक भगदड़ मच गई। इसमें 20 लोग मारे गए और कई अन्य चोटिल हो गए।
14 जनवरी, 2011 को केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडु में एक जीप के घर जा रहे तीर्थयात्रियों से टकराने से भगदड़ मच गई। इसमें 104 सबरीमाला भक्त मारे गए और 40 से ज्यादा चोटिल हो गए।
4 मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ मच गई, जिसमें लगभग 63 लोग मारे गए। लोग स्वयंभू भगवान से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए एकत्र हुए थे।
30 सितंबर, 2008 को राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाहों के कारण भगदड़ मच गई। इसमें लगभग 250 भक्त मारे गए और 60 से अधिक लोग घायल हो गए।
3 अगस्त, 2008 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाहों की वजह से भगदड़ मच गई। इसमें 162 लोग मारे गए और 47 घायल हो गए।
25 जनवरी, 2005 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक भक्तों की कुचलकर मौत हो गई। सैकड़ों लोग चोटिल हो गए।
27 अगस्त, 2003 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान भगदड़ मच गई। इसमें 39 लोग मारे गए और 140 घायल हो गए।