राष्ट्रहित में फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड का सेल में रणनीतिक विलय ही एक मात्र समाधान
सेफी सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के रणनीतिक विलय हेतु प्रयासरत
सार्वजनिक इस्पात क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध निजीकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है।
सेफी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है जिसमें इन इकाईयों को विनिवेश की आवश्यकता नहीं होगी।
विदित हो कि सेफी ने नई दिल्ली में दिनांक 04.04.2021 को आयोजित सेफी काउंसिल की बैठक में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय हेतु संकल्प पारित किया था। जिससे सेफी से संबद्ध इस्पात मंत्रालय के अधीन उपक्रम सेल, आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र, एन.एम.डी.सी., मेकॉन, एफएसएनएल आदि का रणनीतिक विलय कर इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत एक मेगा स्टील पीएसयू का गठन किया जा सके। एनसीओए पदाधिकारियों ने दिनांक 01.07.2024 को माननीय इस्पात मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी से मिलकर आरआईएनएल, एनआईएसपी व एफएसएनएल के विनिवेश की जगह सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय/साझेदारी हेतु चर्चा की थी।
इसी क्रम में फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड जो कि इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ अनेक परियोजनाओं में भागीदार है तथा पूर्व में केन्द्र शासन के द्वारा इस कंपनी का विलय सेल अथवा आर.आई.एन.एल. में किये जाने के प्रस्ताव पारित किया गया। परंतु वर्तमान में केन्द्र शासन ने फेरो स्क्रैप निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है जिससे इस उपक्रम के कार्मिकों में अत्यंत रोष व्याप्त है।
विदित हो कि फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड इस्पात मंत्रालय के अधीनस्थ एक सरकारी उपक्रम है जिसका मुख्यालय भिलाई छत्तीसगढ़ में है। यह संस्था मुख्यतः सरकारी स्टील उपक्रमों जैसे सेल, आरआईएनएल एवं एनएमडीसी जैसे उपक्रमों में स्क्रैप प्रोसेसिंग का कार्य करती है। फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड जो कि अपने स्थापना वर्ष सन् 1979 से ही लगातार आज तक कभी भी घाटे मे नही रही है और सिर्फ विगत तीन वर्षों में ही लगभग 194 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित कर चुका है। वर्तमान में एफएसएनएल के पास लगभग 150 करोड़ रुपये का रिज़र्व है। आने वाले दो वर्षाे के लिए लगभग रु 1000 करोड़ से अधिक मूल्य का कार्य आदेश एफएसएनएल के पास है, जिसे पूर्ण करने के पश्चात कई सौ करोड़ों रुपये का शुद्ध लाभ होना तय है।
वर्ष 2008 में जे पी शुक्ला समिति ने उपक्रम की उपयोगिता और महत्ता को देखते हुए विनिवेश न करने का निर्णय लिया था। इसके पश्चात वर्ष 2017-18 में अंतर मंत्रालय समूह (आईएमजी) के अनुशंसा के आधार पर पीएमओ ने एफएसएनएल का विनिवेश न करने का निर्णय लिया था। सेफी अध्यक्ष ने बताया कि एफएसएनएल के निजीकरण से सेल, एनएमडीसी, आरआईएनएल जैसे सरकारी उपक्रमों में स्टील स्क्रैप का नियंत्रण निजी हाथों में चला जायेगा जिससे लौह स्क्रैप जैसे बहुमूल्य धातु की चोरी होने की सम्भावना बढ़ जाएगी और साथ ही स्क्रैप माफिया एवं बिचौलियों के लिए सरकारी इस्पात संयंत्रों में घुसपैठ के अवसर उपलब्ध हो जायेंगे जिससे राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान होगा। एफएसएनएल के विनिवेश से न की बल्कि सरकार को क्षति होंगी अपितु इससे सरकारी इस्पात संयंत्रों को भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्षति होगी।
सेफी अध्यक्ष नरेन्द्र बंछोर के नेतृत्त्व में सेफी पदाधिकारियों तथा एफएसएनएल एग्जीक्यूटिव के पदाधिकारियों ने दिल्ली में केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा, केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री श्री तोखन साहू, दुर्ग सांसद श्री विजय बघेल, अनकापल्ली सांसद श्री सी.एम.रमेश एवं राजनांदगांव सांसद श्री संतोष पाण्डेय से मुलाकात कर एफएसएनएल तथा अन्य सरकारी सयंत्रो आरआईएनएल, एनएमडीसी के निजीकरण के स्थान पर सेल में विलय कर सेफी के मेगा मर्जर के प्रस्ताव को कार्यान्वित करने का अनुरोध किया।
सेफी को उम्मीद है कि राष्ट्रहित में केन्द्र शासन सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों का निजीकरण के स्थान पर इनके पुर्नगठन व रणनीतिक विलय कर इसका सुनियोजित संचालन हेतु प्रयास करेगा।