बीएसपी में ठेका एजेंसियों पर लगाया गया प्रतिबंध ही पर्याप्त नहीं – एचएस मिश्रा
00 जांच के बाद दोषी अधिकारियों पर भी होनी चाहिए कार्यवाही
भिलाई / हिंद मजदूर सभा ( एचएमएस ) के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष एचएस मिश्रा ने भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा हाल ही में फर्जी दस्तावेज का उपयोग कर भुगतान लेने वाले कुछ ठेका एजेंसी और कंपनी पर निविदा प्रक्रिया में भाग लेने को लेकर लगाए गए प्रतिबंध पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ठेका एजेंसियों पर लगाया गया प्रतिबंध पर्याप्त नहीं है, बल्कि जांच के बाद ऐसे एजेंसियों को लंबे समय तक प्रश्रय देने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए।
प्रदेश के वरिष्ठ श्रमिक नेता एवं एचएमएस यूनियन के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष एचएस मिश्रा ने कहा है कि विगत कईं दशकों से भिलाई इस्पात संयंत्र के कुछ आपरेटिंग अथॉरिटी और ठेका एजेंसी, कंपनी व ठेकेदार की मिली भगत से कर्मचारी व ठेका मजदूरों को ही नहीं बल्कि सेल को भी करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है। क्या प्रबंधन के उच्च अधिकारियों को यह पता नहीं है कि बरसों से जाली दस्तावेज प्रस्तुत कर ठेका एजेंसियां बीएसपी से अधिक भुगतान प्राप्त कर रही है। ठेका मजदूरों का लगातार शोषण हो रहा है। मजदूरों के एडब्लयूए, पूरा बोनस, छुट्टियों की सुविधा, ओवर टाइम का भुगतान फर्जी दस्तावेज बनाकर एजेंसियां डकार जाती है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के साथ होने वाले शोषण और फर्जी दस्तावेज बनाकर ठेका एजेंसियों के द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार को लेकर यूनियन ने अनेकों बार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन को आगाह किया। लेकिन प्रबंधन ने यूनियन की बात को कभी गंभीरता से नहीं लिया। जिससे ठेका एजेंसियों को मनमानी करने का भरपूर अवसर मिला। अगर समय रहते प्रबंधन ने अपने कुछ आपरेटिंग अथॉरिटी और ठेका एजेंसियों के मिली भगत की ओर ध्यान दिया होता तो अब तक हुई आर्थिक क्षति को कम किया जा सकता था।
श्री मिश्रा ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र में कईं हजार मजदूरों की आपूर्ति का ठेका होता है। संयंत्र के अंदर अलग अलग विभाग में कहीं पांच सौ, कहीं चार सौ, कहीं तीन सौ तो कहीं – कहीं पर दो सौ और एक सौ मजदूरों को नियोजित करने का ठेका होता है। लेकिन ज्यादातर एजेंसी, कंपनी और ठेकेदार अनुबंध के तहत निर्धारित से आधे से भी कम मजदूरों की आपूर्ति करते हैं। वहीं दूसरी ओर टेंडर में जितने हजार मजदूरों से काम का अनुबंध रहता है, उसी के अनुसार भुगतान लिया जाता है। ऐसा कृत्य बिना अधिकारियों की मिली भगत के संभव नहीं है। अनुबंध के हिसाब से मजदूरों की कार्य स्थल पर गणना क्यों नहीं की जाती। जितनी दोषी ठेका एजेंसी, कंपनी और ठेकेदार हैं, उससे ज्यादा दोषी जिनके अधीन ठेका एजेंसियां व ठेकेदार काम करते हैं वे अधिकारी हैं। हालांकि कुछ अधिकारी और इंजीनियर अपने काम के प्रति ईमानदार हैं और वे सेल व बीएसपी का नुकसान नहीं चाहते, लेकिन उनके ऊपर बैठे भ्रष्ट अधिकारी ऐसा होने नहीं देते। उच्च स्तरीय जांच कर ऐसे अधिकारियों का निलंबन होना चाहिए।
श्री मिश्रा ने बताया कि लगभग 10 दिन पहले उप मुख्य श्रमायुक्त और उनकी टीम ने बीएसपी का दौरा किया था। इस दौरान श्रम कानून सहित अन्य नियमों का पालन नहीं होने को लेकर संयंत्र के जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाते हुए चेतावनी दी गई थी। लेकिन ऐसा लगता है कि उस चेतावनी का प्रबंधन पर कोई असर नहीं हुआ। मजदूरों का शोषण अभी भी जारी है। मानों प्रबंधन ने यह ठान लिया है कि कोई कुछ भी कहे या जांच करें, संयंत्र में जो जैसा चल रहा है, वही चलता रहेगा।