November 24, 2024

प्रभु श्री राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री स्वामी नरेंद्राचार्य जी महाराज का शुभ आगमन, हजारों लोग प्रवचन,समस्या मार्गदर्शन एवं दीक्षा का पाएंगे लाभ*

 

अत्यंत हर्ष का विषय है कि प्रभु श्री राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ राज्य के पावन भूमि में अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री स्वामी नरेंद्राचार्य जी महाराज, (दक्षिण पीठ-नाणीजधाम महाराष्ट्र) श्री का शुभागमन एक दिवसीय प्रवचन, दर्शन,समस्या मार्गदर्शन एवं दीक्षा समारोह हेतु हमारे छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में सम्पन्न होने जा रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़ के समस्त जनमानस जगदगुरु श्री के दिव्य प्रवचन,दर्शन,मार्गदर्शन एवं उपासक दीक्षा से लाभान्वित होंगे। हमारे छत्तीसगढ़ राज्य के सम्पूर्ण जनमानस के लिए यह धन्यता का शुभ अवसर है, सभी सनातनी जगद्गुरु श्री के आगमन को लेकर उत्साहित है। रायपुर में जगद्गुरु श्री के आगमन को लेकर विभिन्न तैयारियां की जा रही है। समारोह स्थल में विशाल भंडारे की व्यवस्था रहेगी।
रामानंदाचार्य की पदवी पर पीठासीन जगद्गुरु नरेंद्राचार्य महाराज श्री दक्षिण पीठ-नाणीजधाम महाराष्ट्र के पीठाधिश्वर है।

बुधवार 14 अगस्त 2024 प्रातः 9 बजे से निरंजन धर्मशाला, होटेल बेबीलॉन इंटरनेशनल के बाजू, वी. आई. पी. रोड रायपुर में एक दिवसीय प्रवचन, दर्शन,समस्या मार्गदर्शन एवं दीक्षा समारोह आयोजित है।
मनुष्य को अपने जीवन शैली से अंधश्रद्धा दूर कर सदा आध्यत्म विज्ञान को साथ लेकर व्यवहार करे, यह इस उपक्रम का मूल उद्द्देश है। जगद्गुरु श्री ने अपने प्रवचनों के माध्यम से बंधुभाव, प्रेम समन्वय, संस्कृति का जतन और वैदिक संस्कार देते हुए भारत वर्ष के कोने कोने तक अपने विचारों से जनजागरण किया है, इसका लाभ भारत के करोडो भक्त ले रहे है। जगदुरुश्री कहते है की हमे मन को अध्यात्मवादी, दृष्टि को विज्ञानवादी और बुद्धि को वास्तविकवादी रखना चाहिए।
प्रत्येक मनुष्य के हृदय में मोक्ष पाने की मनसा छिपी होती है, पर इस कलयुग में आज मनुष्य अपने निजी जीवन के समस्याओं में उलझकर मोक्ष के तरफ उसकी आकांक्षा होते हुए भी उस तरह ध्यान नहीं दे पाता, और स्वाभाविक रूप से यदि इतने समस्यों के उलझनों में मनुष्य दबा हुआ हो तो वह जीवन के सम्पूर्ण समय को उन उलझनों में व्यतीत करता है। मनुष्य किस तरह अपने समस्याओ से स्वयं बाहर आकर एक सुखद जीवन जीते हुए मोक्ष की राह पर चले इस हेतु से जगद्गुरु श्री स्वयं प्रत्येक लोगो के व्यक्तिगत रूप से उनकी समस्यों को सुनते है उस पर उन्हें मार्गदर्शन करते है। जगद्गुरु आध्यत्म विज्ञान व्यवहार के शास्त्र अनुसार समस्या से बाहर आने के लिए सभी को मार्गदर्शन करते है। कुछ लोग अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए अंधश्रद्धा के मार्गो पर चलकर जीवन को और दुःख और दरिद्रता से भरते है, इसलिए उन्हें अंधश्रद्धा से मुक्त करने के लिए सही मार्ग प्रदर्शित कर सम्पूर्ण मानव समाज इस कलयुग में किस तरह आध्यत्म और विज्ञान के संतुलन बनाकर व्यवहार करे यह शिक्षा जगद्गुरु श्री देते है। मनुष्य सिर्फ विज्ञान के सहारे जीने के प्रयास में है, विज्ञान में अत्यंत मुलभुत अंग है,परंतु जीवन का पर मनःशांति अध्यात्म के बिना संभव नहीं है।

जगद्गुरुश्री अपने प्रवचनों और मार्गदर्शन के माध्यम से सम्पूर्ण जनमानस को अनादि काल से चली आ रही अनमोल भक्ति का महत्व समझाते है। जगद्गुरु श्री कहते है आज मनुष्य के अंतरमन और बहिरमन एकाग्र नहीं होने के वजह से उचित निर्णय नही ले पाते है। स्वाभाविक गुण है चंचल होना यानी एकाग्र न होना। इसका चंचल गुण बार-बार हमें हमारे लक्ष्यों से विमुख करता रहता है। इसमें प्राय: गलत राह भी पकड़ ली जाती है। इसलिए अंतरमन और बहिरमन को एकाग्र करना बहुत आवश्यक है, और यह दोनों मन भक्ति से एक होती है जिसके वजह से मनुष्य की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, सही गलत की समझ बढ़ती है, प्रगलबता बढ़ती है, मन की चंचलता दूर होती है और संयम बढ़ता, कार्य को पूर्ण करने हेतु उत्साह और साहस बढ़ता है,भाव शुद्ध होते है आदि सकारात्मक परिणाम मनुष्य के जीवन में होते है।

हमे प्रपंच के साथ साथ परमार्थ भी करना चाहिए इसलिए जगद्गुरु श्री ने तीन सरल बातो का आव्हान किया है पहला की दिन में किसी भी समय कम से कम 10 मिनट एकग्रता से अपने प्रिय इष्टदेव जो आपको प्रिय हो उनकी भक्ति करे। दूसरा की सपने में भी किसी का बुरा मत सोचो। और तीसरा की ” आप जियो और दुसरो को जीने में सहायता करो”। अगर यह तीन बातो को कोई भी जीवन में अपनाकर जीवन शैली बना ले तो उसका प्रपंच भी संतुलित रहेगा और उसके हाथो से परमार्थ भी हो जायेगा।

जगद्गुरु श्री के समस्या मार्गदर्शन समारोह का अब तक विश्व के करोडो लोगो ने लाभ लिया है, जगद्गुरु श्री के मार्गदर्शन पाकर उनके बताये अनुसार मार्गदर्शन में चलकर जीवन में आये दुखो से सभी मुक्त हुए और एक प्रसन्न मन के साथ आध्यात्मिक जीवन शैली को अपने दैनिक आचरण में अपनाएं है।

जगद्गुरु श्री के “तुम जियो और दुसरो को जीने में सहायता करो” इस दिव्य प्रेरणा से प्रेरित होकर ज.न.म संस्थान द्वारा सम्पूर्ण भारत सहित विश्व में अनेक सामाजिक उपक्रम कार्यरत है, जैसे कि निः शुल्क अन्नदान सेवा, आर्थिक रूप से कमजोर बच्चो के उज्ज्वल भविष्य हेतु जुनियर के.जी. से ग्रेजुएशन तक निः शुल्क शिक्षा, विविध राष्ट्रीय मार्गो पर निः शुल्क एम्बुलेंस सेवा, सम्पूर्ण सुविधाओं के साथ निः शुल्क दो वर्षीय हायर डिप्लोमा इन पुरोहित कोर्स, निः शुल्क रक्तदान, प्राकृतिक आपदाओं में निः शुल्क सहायता, जरूरत मंद लोगो को स्वावलंबी बनाने हेतु निः शुल्क सहायता, कुंभ मेले में स्वच्छता, निः शुल्क वैद्यकीय सहायता , देहदान जिसमे 52 हजार शिष्यों ने अपना नाम पंजीकृत कराया है, आदि सेवा कार्य समर्पित भाव से अनवरत चलाए जा रहे है। जगद्गुरु श्री द्वारा अब तक एक लाख अड़सठ हजार से भी ज्यादा परिवारों को घर वापसी के माध्यम से स्वधर्म में लौटाया गया है।

इस अमृतमय और महामंगल समोराह में आपश्री सहपरिवार उपस्थित होकर जगद्गुरुश्री से मार्गदर्शन एवं शुभाशीर्वाद ग्रहण करे, स्व स्वरुप संप्रदाय छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ पीठ प्रमुख, समस्त पीठ कमिटी सदस्य, समस्त पाधिकारी एवं समस्त भक्तो की ओर से समस्त छत्तीसगढ़ के लोगो के आत्मीय आमंत्रण है, साथ ही जगद्गुरु श्री से अपने जीवन के समस्याओ पर मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु निः शुल्क समस्या मार्गदर्शन पर्ची 14 अगस्त प्रातः 7 बजे दी जाएगी एवं उपासक दीक्षा जगद्गुरु श्री की उपस्थिति में होगी।