देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम: जानें पूजा का मुहूर्त और महत्त्व
पूजा का मुहूर्त:
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2024 (रात 08:05 बजे)
- अष्टमी तिथि समाप्ति: 26 अगस्त 2024 (रात 09:03 बजे)
- रात्रि को कृष्ण जन्म का मुहूर्त: लगभग 12:00 बजे (मध्यरात्रि)
जन्माष्टमी का महत्त्व:
- भगवान कृष्ण का जन्म: जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से जन्माष्टमी या कृष्णा जन्माष्टमी कहा जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
- धार्मिक महत्व: श्री कृष्ण हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजे जाते हैं। उनके जीवन की लीलाएं और शिक्षाएं भगवद गीता में वर्णित हैं, जो भक्तों के लिए मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
- पूजा विधि: इस दिन भक्त रातभर जागरण करते हैं और भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें कृष्ण जन्म की कथा सुनाई जाती है। मटकी फोड़ने का आयोजन भी विशेष रूप से होता है, जो कि भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है।
- समारोह: मंदिरों में विशेष भजन-कीर्तन, पूजा और भव्य सजावट की जाती है। घरों में भी विशेष पूजा की जाती है, जिसमें भगवान कृष्ण की मूर्तियों को अच्छे कपड़े पहनाए जाते हैं और विभिन्न पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है।
- सांस्कृतिक महत्व: जन्माष्टमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें कृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन और रासलीला प्रस्तुत की जाती है। यह त्योहार सामाजिक एकता और धार्मिक उत्साह को प्रोत्साहित करता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और खुशी का अवसर है। इस दिन की पूजा और अनुष्ठान जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने का काम करते हैं।