बीएसपी माइंस के आसपास वनांचल क्षेत्रों के 82 शासकीय स्कूलों के बच्चे गिफ्टमिल्क योजना से हो रहे लाभान्वित
भिलाई इस्पात संयंत्र के माइंस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शासकीय विद्यालयों में सीएसआर परियोजना के अंतर्गत फोर्टिफाइड दूध का वितरण किया जाता है। इस शिक्षण सत्र से रावघाट क्षेत्र के कुल 82 शासकीय विद्यालयों के लगभग 2583 विद्यार्थियों को प्रतिदिन 200 मिली फोर्टिफाइड दूध का वितरण किया जायेगा। जिससे बढ़ते बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायता मिलेगी और कुपोषण जैसे बीमारी को भी हराने में यह योजना लाभकारी सिद्ध होगी।
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र, अपने खदान क्षेत्र के समीपस्थ गाँवों में अपने निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत विभिन्न सामाजिक कल्याण के कार्य कर रहा है। अब इस परियोजना के लाभ को और अधिक लोगों तक पहुचने के लिए सीएसआर विभाग ने अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार करते हुए कुछ और नए गांवों को इसमें सम्मिलित किया है।
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने सीएसआर के तहत अपने खदान क्षेत्र के बफर जोन गांवों में ‘गिफ्ट मिल्क’ के वितरण के लिए 02 मार्च 2023 को एनडीडीबी फाउंडेशन फॉर न्यूट्रिशन (एनएफएन) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। सेल के तात्कालिक अध्यक्ष ने 18 अप्रैल 2023 को इस योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना को स्थानीय लोगों के साथ-साथ स्कूली बच्चों और कर्मचारियों से भी काफी सराहना मिली है। वर्तमान समझौता ज्ञापन 182 दिनों और 5,46,000 दूध पैकेट के वितरण के लिए हस्ताक्षरित किया गया है।
मार्च 2023 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन छत्तीसगढ़ के कांकेर, नारायणपुर, मोहला-मानपुर अंबागढ़ चौकी, बालोद जिलों के सरकारी स्कूलों या अन्य स्कूलों के कम से कम 3000 छात्रों के लिए परियोजना के शुभारंभ की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए था। परियोजना में रावघाट, महामाया और दुलकी माइंस बफर जोन के गांव शामिल थे। अगले गिफ्टमिल्क प्रस्ताव में शामिल करने के लिए, रावघाट माइंस और कलवार नागूर माइंस क्षेत्र से कुछ आंकड़े प्राप्त हुए। कलवार माइंस के आसपास 6 गांव हैं, जिनमें लगभग 400 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के छात्र नामांकित हैं। इन छात्रों को गिफ्टमिल्क योजना के तहत कवर किया जाना है। वर्तमान में रावघाट खनन परियोजना के बफर जोन गांवों के रूप में 22 गांव पहले से ही चिह्नित हैं। जहां बीएसपी सीएसआर विभाग प्रतिदिन 1738 पैकेट दूध वितरित कर रहे हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सेल-बीएसपी के निदेशक प्रभारी श्री अनिर्बान दासगुप्ता ने बफर जोन गांवों को 22 से बढ़ाकर 60 करने की मंजूरी दी। जिला प्रशासन कांकेर और नारायणपुर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कुल दूध पैकेट का वितरण 1738 से बढ़कर 2583 हो गया है।
खदानों के अनुसार अनुमानित दूध वितरण रावघाट खदान (नारायणपुर और कांकेर) से – 2600 छात्र (जिसमें से वर्तमान में छात्रों की संख्या 2583 है), दुलकी खदान (मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी) से – 673 छात्र, महामाया खदान (बालोद) से – 427 छात्र तथा कलवार नागूर खदान (कांकेर) से – 400 छात्र शामिल हैं। दूध वितरण हेतु कुल छात्रों की अनुमानित संख्या – 4100, कुल दिनों की संख्या – 182 होगा। प्रतिदिन अनुमानित छात्र संख्या – 4000 तथा कुल ‘गिफ्टमिल्क’ पैकेट की आवश्यकता – 7,28,000 पैकेट होगी। इस परियोजना की कुल लागत – 1,25,12,000 रुपये होगी जिसका वहन बीएसपी प्रबंधन अपने सीएसआर परियोजना के अंतर्गत कर रही है।
मेसर्स एनएफएन के माध्यम से रावघाट, महामाया, कलवार नागूर और दुलकी माइंस बफर जोन गांवों के 182 स्कूल दिवसों के लिए 200 मिली फ्लेवर्ड गिफ्टमिल्क का वितरण करेगी। यह योजना रावघाट, महामाया, कलवार नागूर और दुलकी माइंस बफर जोन गांवों के लिए होगी। जिसमें रावघाट बफर जोन के गांव 22 से बढाकर 60 किये गए हैं और कलवार नागूर माइंस के बफर जोन गांव जोड़े गए हैं। पिछले वित्त वर्ष में गिफ्टमिल्क के वितरण के लिए प्रतिदिन न्यूनतम 3000 छात्रों का लक्ष्य रखा गया था, जिसे बढाकर वर्तमान वित्त वर्ष में प्रतिदिन न्यूनतम 4000 छात्रों का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान शिक्षण सत्र में इन 4000 छात्रों में से रावघाट क्षेत्र के कुल 82 शासकीय विद्यालयों के लगभग 2583 एनरोल्ड विद्यार्थियों को प्रतिदिन 200 मिली फोर्टिफाइड दूध का वितरण किया जायेगा।
एनएफएन द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 29 फरवरी 2024 तक कुल 4,35,581 वितरित किए गए हैं। चूंकि स्कूलों में परीक्षाएं और छुट्टियां शुरू हो गई थीं, इसलिए दूध के बचे हुए पैकेट जून/जुलाई 2024 तक चल सकते थे। मात्रा पूरी होने के बाद योजना को जारी रखने के लिए एनएफएन से नया प्रस्ताव मांगा गया है। मेसर्स एनएफएन ने अगले चरण के लिए सहमति भेज दी है। 21 मार्च 2024 को आयोजित सीएसआर एपेक्स कमेटी की बैठक में इस पर चर्चा की गई और सदस्यों ने रावघाट खदानों के बफर जोन गांवों और कलवार नागूर खदानों के बफर जोन गांवों को बढ़ाने पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की थी। एनएफएन की भूमिका गुणवत्ता वाले दूध की आपूर्ति करना और चयनित स्कूलों में स्कूली बच्चों के बीच गुणवत्ता वाले ‘गिफ्टमिल्क’ का सुचारू वितरण सुनिश्चित करना और उसका रिकॉर्ड रखना है। स्कूल के प्रधानाध्यापकों के माध्यम से दूध के दैनिक वितरण और उसके कुल उपभोग की व्यवस्था की गई है। इसके लिए पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया गया है, जो नियमित अंतराल पर स्कूलों का दौरा करता है और स्कूलों में आपूर्ति किए गए दूध का डेटा/रिकॉर्ड रखता है।
नारायणपुर जिले के जिन स्कूलों में गिफ्टमिल्क के तहत दूध वितरित किया जा रहा है, उनमें गर्ल्स हॉस्टल सुलेंगा, मानसिक मंदित कन्या छात्रावास, माध्यमिक शाला ब्रेहबेडा, करलाखा, प्राथमिक शाला पुसागांव, पालकी, सुपगांव, केरलापाल, सुलेंगा, मार्डेल, ब्रेहबेड़ा, करलाखा पंचायत के पास, ज्ञान ज्योति शाला बड़ेपारा, डिब्रीपारा, कोलिहाभाटा, पातुरबेड़ा स्कूलों को जोड़ा गया है। जबकि बिंजली में कन्या आश्रम शाला, बिंजली में कन्या माध्यमिक शाला पालकी, चेचनपारा, खड़कागांव, केरलापाल, घोटुलपारा, तेलसी, गोबरपारा और खैराभाट, गुरिया, खोडगांव, हुच्चाकोट, टेमरूगांव, भरांडा, परलभाट में प्राथमिक शाला, खड़कागांव में मिडिल स्कूल, कनेरा में ज्ञान ज्योति स्कूल, खैराभाट, भरांडा, बिंजली और खोडगांव आदि में उच्च प्राथमिक स्कूल पहले से ही शामिल हैं।
अंतागढ़ जिले के जिन स्कूलों में गिफ्ट मिल्क के तहत दूध वितरित किया जा रहा है, उनमें भैयासालेभाट, सरगीपाल, फुलपाड़, भैसगांव, आतुरबेड़ा, घोटिया, पदरगांव, मंगता सालेभाट, मांझीपारा, कालेंद्र नगर, कुम्हारी, तालाबेड़ा, कोलार, देहरीपारा कोलार के प्राथमिक विद्यालय, भैयासालेभाट, मंगतासालेभाट, भैसगांव, तालाबेड़ा, देहरीपारा कोलार के माध्यमिक विद्यालय एवं बालक छात्रावास शामिल हैं। जबकि इस सत्र से सीएसआर परियोजना में नए गांवों के जुड़ जाने से प्राथमिक शाला छोटेजैतपुरी, टोटीनडंगरा, निबरा, वर्चे, मुनगापदर, कोसोरोंडा, सत्तीघाट, मुरपाल, मडपा, पोबेडा, पटेल पारा, नहरपारा, कोलार, माध्यमिक शाला कोसोरोंडा एवं माडपा भी अब गिफ्टमिल्क योजना से लाभान्वित होंगे। इसके अतिरिक्त प्राथमिक शाला गावडी, हुचडी, रेखाभाट, हुरतराई, पदबेड़ा बाड़ेपारा तथा माध्यमिक शाला गावडी, हुरतराई भी लाभान्वित होंगे।
बीएसपी का सीएसआर विभाग सदैव एक ऐसे समाज का निर्माण में मदद करती है, जो समावेशी विकास को प्राप्त करने के लिए सरकार के प्रयासों को पूरक हो। सीएसआर विभाग द्वारा इस तरह की पहल राष्ट्र को सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर ले जाने में मदद करती है।