52 परियों की रही खूब मांग डाही/इन दिनों अंचल के गांवों में 52 परियों की खूब मांग है। दशहरा से दीपावली तक बीस हजार से भी ज्यादा पैकेट बिक चुकें
। नवरात्रि से शुरू हुआ ताश का कारोबार अभी तक चल रहा है और देवउठनी पर्व तक जारी रहने वाला है। दीपावली पर्व पर छत्तीसगढ़ के कुछ अंचल में ताश खेलने की परंपरा है। इसी परंपरा के अनुसार इन दिनों डाही और आसपास के गांवों में ख़ूब जुआ खेला जा रहा है। पुलिस भले ही जुवारियों तक नहीं पहुंच पा रही है, लेकिन बाजार में हो रहे ताश के कारोबार से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर जुआ खेला जा रहा है। दशहरा से लेकर दीपावली तक 20 हजार से भी अधिक पैकेट बिक चुकें हैं। और अभी भी मांग बनीं हुईं हैं। व्यापारियों को उम्मीद है कि देव उठनी त्यौहार तक 5 हजार तक और पैकेट बिक जायेंगे। जनरल स्टोर्स के संचालक ने बताया कि राखी, होली के रंग और पटाखों की तरह ही ताश का भी एक सीजन होता है, जिसका बेसब्री इंतजार रहता है। लोग जिस तरह पटाखे जलाने में रुपए उड़ा देते हैं, उसी तरह पत्तियां खेलने में भी खूब खर्च करते हैं। एक व्यापारी ने बताया कि किम कंपनी के ताश की वर्षों से मांग चली आ रही है। ताज और मिलन ताश की भी अच्छी मांग है। प्लास्टिक वाले ताश की डिमांड ; – स्थानी बाजार में आमतौर दर्जनों कंपनियों के ताश आए हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मांग तीन कंपनियों की ताश की है। ये कंपनियों प्लास्टिक की पत्तियां बनती है, जो चिकनी और सुंदर होती है। प्लास्टिक की ये पंक्तियों में फटाफट चलती है। इसे फेटने और बांटने में बड़ी सुविधा होती है। प्लास्टिक की इन पत्तियों को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। इसकी मांग ज्यादा होने के कारण कभी-कभी बाजार में शार्टेज की नौबत आ जाती है। यही कारण है कि थोक विक्रेता प्लास्टिक के ताश को दिवाली के दो माह पहले ही स्टाक कर लेते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले इस दास की कीमत थोक में 15 रुपये और चिल्हर में 20 से 30 रुपये है। दशहरा से दीपावली तक इस ताश के 10 हजार से भी अधिक पैकेट बिक चुकें हैं। इससे बाद वाले ताश की कीमत थोक में 14 रुपये और चिल्हर में 18 से 20 रुपये है। इसके भी करीब 6 हजार पैकेट बिक चुकें हैं। तीसरे नंबर के ताश की कीमत थोक में 11 रुपये और चिल्हर में 14 – 15 रुपये है। इसकी बिक्री 3 हजार पैकेट तक हो चुकी है।