भरपेट खाना भी नहीं मिलता था फिर शिव ने संवारा जीवन :पंडित प्रदीप मिश्रा
चाय बेचते थे मशहूर कथा वाचक पंडित प्रदीपमिश्राः पिता लगाते थे चने का ठेला, भरपेट खाना भी नहीं मिलता था फिर शिव ने संवारा जीवन रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में ऑटो वाले जाने से कतरा रहे हैं। ट्रैफिक जाम इतना है कि 500 फीट की ऊंचाई से ड्रोन तस्वीरें लेने पर सिवाए भीड़ में लोगों के सिर के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा। गलियां खचाखच गाड़ियों की पार्किंग से फुल हैं। सैंकड़ों वॉलेंटियर और पुलिस के जवान व्यवस्था संभालने में लगे हैं। गुढियारी के दही हांडी मैदान में शिव पुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है।2 लाख से अधिक लोगों की भीड़ हर दिन जुट रही है। क्योंकि यहां चल रही है पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव कथा। यह कथा 13 नवंबर तक चलेगी। कथावाचक पं मिश्रा को सुनने रायपुर में देशभर से लोग जुटे हैं। कैसे प्रदीप मिश्रा, बने कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा,अपने सफर की कहानी खुद उन्होंने बताई। शुक्रवार को जब पंडिज जी मीडिया से मुखातिब हुए तो अपने जीवन और शिव भक्ति से जुड़ी दिलचस्प बातें बताईं, पढ़िए इस रिपोर्ट में। भगवान शिव कोई नशा नहीं करते पं प्रदीप मिश्रा ने कहा- आजकल युवा नशे की ओर जा रहे हैं। आज के पोस्टर्स भगवान शिव को गांजा पीते या चिलम के साथ दिखाया जाता है। शिव जी ने कोई नशा नहीं करा । जब विष भेजा गया तब उसे पीते समय जो बूंदे गिरीं वो भांग धतूरा बनीं। वो सिर्फ शिव के पास रखी होती हैं, उनका सेवन शिव नहीं करते। स्वयं माता पार्वती ने शिव जी से पूछा था आप किस नशे में रहते हैं तो उन्होंने कहा थ राम नाम का नशा है। यहां आकर लोग शिव का नशा कर रहे हैं तो दूसरे नशे की जरुतर ही नहीं। यहां हम कौन सा भांग का प्रसाद बंट रहे हैं। यहां लोग जो आए हैं शिव के भक्ति रस में मस्त हैं।
पं प्रदीप मिश्रा ने कहा- भगवान शिव कर्म करने को कहते हैं। हम अपनी कथा में भी लोगों से यही कहते हैं कि कर्म करिए और विश्वास के साथ भगवान शिव की आराधना करें। भगवान शिव ने अपने पुत्रों को विष्णु की तरह बैकुंठ और रावण को दी गई सोने की लंका नहीं दी। उन्होंने उन्हें भी कर्म करने दिया।