इस देश का भविष्य इसे सभी वर्ग को स्वीकार कर लेना चाहिए : अभिलाष जायसवाल

लोरमी: मोदी कैबिनेट ने अक्ती त्योहार को आने वाले जनगणना फार्मेट में जाति की पृथक कालम जोड़ने और गणना करने का फैसला लिया। जिससे देश की वास्तविक आबादी का कितने प्रतिशत हिस्सा पिछड़े है पता लगाया जा सकेगा। जनगणना में अनुसूचित जाति और जनजातियों का पृथक कालम रहता है उसमें ओबीसी का एक कालम होगा। मोदी कैबिनेट के फैसले का ओबीसी महासभा पूर्ण समर्थन करती है और मोदी सरकार फैसले का स्वागत धन्यवाद करती है। सबका साथ सबका विकास सम्भव है जब पिछड़ी जातियों को मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा। भारत को विश्व गुरु बनाने और अर्थिक संपन्न देश बनाने के लिए पिछड़ों का उत्थान करना और अवसर संसाधन देना आवश्यक है, ऐसे परिस्थितियों में जब देश की अंतिम सच्चाई आज भी जाति है, वैवाहिक सम्बन्ध जाति देख होती है ऐसे में सभी वर्गों को caste census को स्वीकार कर लेना चाहिए। यही इस देश का भविष्य है। सामजिक न्याय के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। अमिर गरीब के अन्तर को कुछ हद तक कमी लाया जा सकता है। तभी इस देश में सबका साथ सबका विकास सम्भव होगा। मोदी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए सामाजिक महा परिवर्तन गठबंधन SRA के पदाधिकारी अभिलाष जायसवाल ने यह बाते कहीं। साथ ही सरकार में बैठे लोगो से अपील की है जनगणना का समय 4 साल निकल चुका है इसे तत्काल शुरू किया जाए। पहली जाति जनगणना 1931 में किया गया था आजादी के बाद पहली बार होगा। 2011 में अंतिम जनगणना किया गया था। यह केवल बिहार चुनाव में राजनीतिक रोटी सेंकने का एजेंडा ना रहे। पूरे देश में एक बड़ी आबादी इससे मुख्य धारा पर आएगी। इसमे सरकार की मंशा साफ हो रोहाणी आयोग या आरक्षण के भीतर आरक्षण के प्रयोग से परे हो।