April 26, 2024

11 बीमारियों का स्वदेशी तोड़ निकालेंगे अस्पताल, शोध पर फोकस करेगा आईसीएमआर

टीबी से लेकर एनीमिया और नौनिहालों की मौतें रोकने के लिए देश के शीर्ष अस्पतालों में जल्द ही शोध शुरू होंगे। बुधवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इसका फैसला लिया है। साथ ही अस्पतालों के लिए परियोजना का विवरण भी किया गया।

बीमारियों की सूची में क्षय रोग, वेक्टर जनित रोग, एएमआर, गैर-संचारी रोग, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य, एम्बुलेटरी देखभाल, सिजेरियन डिलीवरी व बाल स्वास्थ्य और पोषण, एनीमिया, बचपन का कुपोषण, नवजात मृत्यु दर, आपातकालीन देखभाल और मौखिक स्वास्थ्य को शामिल किया है। इन सभी को लेकर मौजूद चुनौतियों के समाधान के लिए डॉक्टरों और शोधकर्ताओं को बढ़ावा दिया जाएगा। आईसीएमआर ने इन 11 बीमारियों के लिए अलग से करीब 300 करोड़ का बजट रखा है, जिन पर एक से अधिक अस्पतालों में शोध किए जाएंगे।

इनकी सीधे निगरानी आईसीएमआर के महानिदेशक करेंगे। साथ ही नीति आयोग की सिफारिश पर आईसीएमआर ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी इसमें शामिल किया है। अभी तक स्वास्थ्य को लेकर देश में एक्स्ट्रा-म्यूरल और इंट्रा-म्यूरल योजना के तहत आईसीएमआर शोध के लिए खर्च कर रहा है, लेकिन अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य पर एक अलग योजना तैयार कर अलग-अलग बीमारियों पर अस्पतालों की रुचि की अभिव्यक्ति जारी करेगा।

देश का भविष्य एम्बुलेटरी केयर
सूची में एम्बुलेटरी केयर को शामिल किया है। इसका मतलब कोई एक व्यक्ति या संगठन को बाह्य रोगी आधार पर स्वास्थ्य कर्मचारी के जरिये व्यक्तिगत देखभाल दिलवाना। अभी ऐसी कई एजेंसी हैं जो सेवाएं दे रही हैं। 2022 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और दिल्ली एम्स ने एक अध्ययन में निष्कर्ष दिया कि सरकारी अस्पतालों में करीब 40% स्वास्थ्य सेवाएं हैं, जिन्हें एम्बुलेटरी के सहारे दिया जा सकता है।

हर अस्पताल को मिलेंगे आठ करोड़
आईसीएमआर ने तय किया है कि प्रत्येक बीमारी के शोध पर अधिकतम 25 करोड़ खर्च किए जा सकते हैं, जिनमें हर अस्पताल को आठ करोड़ रुपये मिलेंगे। इस तरह एक शोध में करीब तीन से चार अस्पताल शामिल होंगे, जिन्हें मल्टी सेंटर कहा जाता है।