दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। पूरी दुनिया में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है और इस कारण पैदा होने वाली समस्याओं के प्रति भी इस दिन जागरूक किया जाता है। साथ ही लोगों में जनसंख्या मुद्दों के समाधान और भविष्य इस समस्या से कैसे निपटा जाएगा, इस विषय पर भी गहन चिंतन किया जाता है। आपको बता दें कि यूनाइटेड नेशंस ऑर्गेनाइजेशन ने 11 जुलाई 1989 को पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का ऐलान किया था। इसके बाद से हर साल दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर चिंतन किया जाता है।
दुनियाभर में हर साल विश्व जनसंख्या दिवस अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम है। इसका मतलब है कि ‘एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना, जहां हम सभी से 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो’। इस लक्ष्य को लेकर दुनिया के लोगों को साथ चलना है।
जनसंख्या यानी आबादी से बड़े-बड़े काम संपन्न हो जाते हैं। इससे न सिर्फ मैन पावर की वृद्धि होती है, बल्कि लोगों का सहयोग मिलने से मेंटल हेल्थ को भी सपोर्ट मिलता है। बड़ी आबादी कई तरह की समस्या भी बढ़ा सकती है। इसलिए इस पर नियन्त्रण जरूरी है। जनसंख्या के महत्व को समझाने और इस पर नियन्त्रण के लिए ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत की। पर सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण ही जरूरी नहीं है, बल्कि लैंगिक संतुलन भी आवश्यक है। इसलिए इस बार इसे जेंडर इक्वेलिटी पर केंद्रित किया गया है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में 16% महिलाओं ने शारीरिक रूप घरेलू हिंसा का अनुभव किया। 25% ने यौन रूप से और 53% ने मनोवैज्ञानिक रूप से और 56% ने घरेलू हिंसा को किसी न किसी रूप में अनुभव किया। जेंडर इक्वलिटी या लैंगिक समानता महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा और घरेलू हिंसा को रोकने में मदद करती है। यह महिलाओं की कम्युनिटी को सुरक्षित और स्वस्थ बनाती है। यह एक मानवाधिकार है और यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।