November 22, 2024

सिर्फ एक रात के लिए दुल्‍हन बनते हैं किन्‍नर, अगले दिन हो जाते हैं विधवा, जाने कैसे

हमारे समाज में किन्नरों को अलग दर्जा दिया गया है. स्त्री-पुरुष के अलावा किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया है. इनकी जिंदगी हमसे कापी अलग होती है. किन्नरों की अपनी एक अलग ही दुनिया है. इनके रहन सहन से लेकर इनके रीति रिवाज भी एक दम अलग हैं. हमारे हिंदू ग्रंथों में कई जगहों पर यक्ष, गंधर्व और किन्नरों का जिक्र मिलता है. किन्नरों के समाज में कई ऐसी रहस्यमयी परंपराएं हैं, जिनके बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा. अधिकतर लोगों को लगता है कि किन्नर कभी शादी नहीं करते हैं अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं. किन्नर भी औरों की तरह शादी करते हैं और दुल्हन बनते हैं.

किन्नरों की शादी औरों से थोड़ी अलग होती है ये शादी तो करते हैं, लेकिन महज एक रात के लिए दुल्हन बनते हैं. इनकी शादी किसी इंसान से नहीं भगवान से की जाती है. परंपरा अनुसार 18वें दिन अरावन देव की प्रतिमा को सिंहासन पर बैठाकर पूरे गांव में जुलूस निकाला जाता है. अगले दिन ये विधवा हो जाते हैं.

आम लोगों की तरह किन्नरों की शादी किसी इंसान से नहीं बल्कि उनके ही भगवान से की जाती है. तमिल कैलेंडर के अनुसार हर नए साल की पहली पूर्णिमा पर किन्नर तमिलनाडु में विल्लुपुरम जिले के कुनागम गांव में विवाह समारोह आयोजित करते हैं. यहां किन्नरों के विवाह का आयोजन 18 दिनों तक चलता है. इस दौरान नाच गाना होता है. इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए हजारों किन्नर यहां इकट्ठा होते हैं.

इन आयोजन के 17वें दिन किन्नर को दुल्हन के रूप में सजाया जाता है. किन्नरों के भगवान हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है. महाभारत में अज्ञातवास के दौरान अर्जुन किन्‍नर के रूप में ही रहे थे. 17 वें दिन तैयार होकर किन्नर अरावन भगवान के मंदिर जाती हैं और यहां उन्हें अरावन देव के नाम का मंगलसूत्र बहनाया जाता है. इसके बाद किन्नर का विवाद भगवान से हो जाता है.

शादी के बाद 18 वें दिन अरावन देव की प्रतिमा को सिंहासन पर रखकर पूरे गांव में जुलूस निकाला जाता है. इसके बाद पंडित सांकेतिक रूप से अरावन देव का मस्तक काट देते हैं. इसके बाद सभी किन्नर विधवा हो जाती हैं. किन्नर विधवाओं की तरह अपनी चूड़ियां तोड़ देते हैं और विधवा का लिबास यानी सफेद साड़ी पहन लेते हैं. 19वें दिन किन्नर अपने मंगलसूत्र को अरावन देव को समर्पित कर देते हैं और नया मंगलसूत्र पहनते हैं.

You may have missed