November 24, 2024

PM मोदी ने बताया कैसे देश के कोने-कोने तक पहुंचा G-20?

नई दिल्ली: देश भर के शहरों में G-20 समारोहों का आयोजन कराने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि बड़े राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी को लेकर सत्ता के गलियारों में एक प्रकार की हिचक थी कि इनका आयोजन दिल्ली खासकर विज्ञान भवन से बाहर हो ही नहीं सकता है। ऐसा शायद सुविधा के लिहाज से या लोगों में विश्वास की कमी की वजह से हुआ हो। किन्तु उन्होंने सत्ता संभालने के साथ ही इस परंपरा को बदलने की ठान ली थी। पीएम मोदी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि हमने यह भी देखा है कि कैसे विदेशी नेताओं की यात्राएं भी मुख्य तौर पर राष्ट्रीय राजधानी या कुछ अन्य स्थानों तक ही सीमित रहा करती थीं। किन्तु लोगों की क्षमताओं तथा हमारे देश की अद्भुत विविधता को देखकर, मैंने एक अलग दृष्टिकोण विकसित किया है। इसलिए, हमारी सरकार ने पहले दिन से ही पुराने दृष्टिकोण को बदलने के लिए काम किया है। वही जब पीएम मोदी से पूछा गया कि आपने भारत की G-20 की अध्यक्षता को जनता की अध्यक्षता के तौर पर वर्णित किया है। आपने इसे एक या दो शहरों तक सीमित रखने की जगह, G-20 कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित करवाए हैं? आपने G-20 को लोकतांत्रिक बनाने के नए विचार के बारे में फैसला क्यों और कैसे लिया?

पीएम मोदी ने इस सवाल का जवाब विस्तार से दिया। उन्होंने कहा, “गुजरात का सीएम बनने के पश्चात् मेरे के जीवन के बारे में बहुत से लोग जानते हैं। मगर उससे पहले कई दशकों तक, मैंने अराजनीतिक और राजनीतिक दोनों व्यवस्थाओं में संगठनात्मक भूमिकाएं निभाई थीं। परिणामस्वरूप, मुझे देश के तकरीबन प्रत्येक जिले में जाने और रहने का अवसर प्राप्त हुआ है।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरे जैसे स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु व्यक्ति के लिए, विभिन्न क्षेत्रों, लोगों, अद्वितीय संस्कृतियों एवं व्यंजनों और उनकी चुनौतियों के साथ-साथ अन्य पहलुओं के बारे में सीखना एक जबरदस्त शिक्षाप्रद अनुभव था। भले ही मैं हमारे विशाल राष्ट्र की विविधता पर आश्चर्यचकित था, मगर एक सामान्य बात थी जो मैंने पूरे देश में देखी। हर क्षेत्र तथा समाज के हर वर्ग के लोगों में ‘कर सकते हैं’ की भावना थी। उन्होंने बड़ी कुशलता से चुनौतियों का सामना किया। विपरीत हालातों में भी उनमें गजब का आत्मविश्वास था। उन्हें बस एक ऐसे मंच की आवश्यकता थी जो उन्हें सशक्त बनाए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ऐतिहासिक रूप से सत्ता के गलियारों में दिल्ली से बाहर सोच पाने को लेकर एक प्रकार की अनिच्छा थी, खासकर विज्ञान भवन से परे। ऐसी धारणा बन गई थी कि ऐसे कार्यक्रमों को दिल्ली से बाहर विशेष तौर पर विज्ञान भवन से अलग ले जाने जाने की क्या जरूरत है? ऐसा शायद सुविधा के खयाल से किया गया हो या फिर लोगों में विश्वास की कमी से हुआ हो।’ इसके अतिरिक्त हमने यह भी देखा है कि कैसे विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के दौरे को दिल्ली तक ही सीमित रखा जाता था। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक, लोगों की क्षमताओं और हमारे देश की अद्भुत विविधता को देखकर, उनके अंदर एक अलग दृष्टिकोण विकसित हुआ। इसलिए, उनकी सरकार ने पहले दिन से ही इस दृष्टिकोण को बदलने पर काम किया है।

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