जिले भर के वन क्षेत्र में जोर-षोर हो रहा है अतिक्रमण- अ.भा.आदि.महासभा
वन कर्मचारी-अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही की मांग को लेकर सीपीआई ने सौंपा ज्ञापन
कोण्डागांव वर्तमान में भी जिले भर के वन क्षेत्र में जोर षोर से हो रहे अतिक्रमण को नहीं रोक पाने वाले वन कर्मचारियों-अधिकारियों पर उचित कानूनी कार्यवाही करने की मांग को लेकर जिला सचिव का.तिलक के निर्देषानुसार कोण्डागांव जिले में सक्रिय सीपीआई जिला परिशद् एवं अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के पदाधिकारियों एवं सदस्यों षैलेष सह सचिव, मुकेष जिला अध्यक्ष, जयप्रकाष, बिसम्बर, दिनेष, फगनू आदि के द्वारा संयुक्त रुप से महामहिम राज्यपाल छ.ग.षासन को सम्बोधित एक ज्ञापन को कार्यालय कलेक्टर जिला कोण्डागांव में 12 सितम्बर को देने के साथ ही पंजीकृत डाॅक से सिधे महामहिम राज्यपाल छ.ग.षासन को प्रेशित भी किया गया है।
ज्ञापन में लेख किया गया है कि आदिवासी बाहुल्य बस्तर सम्भाग के अंतर्गत आने वाले कोण्डागांव जिले के वन क्षेत्र के हरे-भरे पेड़-पौधों को सुरक्षित रखने के लिए दो वन मण्डल, दक्षिण वन मण्डल कोण्डागांव एवं उत्तर वन मण्डल केषकाल स्थापित किए गए हैं। दक्षिण वन मण्डल कोण्डागांव में 07 वन परिक्षेत्र एवं उत्तर वन मण्डल केषकाल में 04 वन परिक्षेत्र बनाए गए हैं, जिनमें आवष्यकता अनुसार डी.एफ.ओ., एस.डी.ओ.एफ., वन परिक्षेत्र अधिकारी, सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी, वनपाल, बीट गार्ड आदि अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। वहीं सभी ग्रामों में वन सुरक्षा समितियों का भी गठन किया गया है। इसके बावजूद जिले के लगभग सभी वन क्षेत्रों में अलग-अलग गांव के कुछ ग्रामीणों द्वारा वनाधिकार प्रपत्र पाने की होड़ में आज भी हरे भरे पेड़-पौधों को काटकर वन क्षेत्र में अतिक्रमण किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। वन क्षेत्र में किए जा रहे ऐसे अतिक्रमण को बचाने का प्रयास ग्राम स्तर की वन समितियों द्वारा किया जाता है, लेकिन अधिकार सिमित होने के कारण वे अवैध अतिक्रमण को रोकने में असमर्थ होते हैं और अतिक्रमण की सुचना सम्बन्धित वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को देते हैं। लेकिन वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा भी स्थानीय राजनीतिक दबाव के कारण निश्पक्ष कार्यवाही नहीं किया जाता है। वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा किसी मामले में अतिक्रमणकारियों को जेल तक भेजने की कार्यवाही की जाती है, तो कहीं केवल पी.ओ.आर.कर जुर्माना वसूल करके अतिक्रमणकारी को छोड़ दिया जाता है।वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के पास कानूनी अधिकार होने के बाद भी निश्पक्ष कार्यवाही नहीं करने और चंद बेपरवाह अतिक्रमणकारियों की वजह से कोण्डागांव जिले में वन क्षेत्र निरंतर घट रहा है और जिसका खामियाजा भविश्य में सभी आमजनों को भुगतना पड़ेगा।वन क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण की सूचना देने वाले जागरुक ग्रामीणों पर भी अतिक्रमणकारियों के द्वारा हमलाकर मारपीट किया जाता है, ऐसे मामले में भी वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी, मारपीट से पीड़ित जागरुक ग्रामीणों की सहायता करने आगे नहीं आते जिससे भी जागरुक ग्रामीणों का मनोबल टूटता जा रहा है, जिससे भविश्य में कोई भी जागरुक नागरिक वन की रक्षा करने आगे आने की हिम्मत नहीं करेगा, जिसका परिणाम यह होगा कि वन क्षेत्र में अतिक्रमण और अधिक बढ़ जाएगा।
कोण्डागांव जिला की सीपीआई एवं अखिल भारतीय अदिवासी महा सभा ने महामहिम राज्यपाल से आग्रह किया है कि जिले के वन क्षेत्र के हरे-भरे पेड़-पौधों को बचाने में नाकाम हो रहे वन विभाग के दोनों वन मण्डलों के अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हेतु आदेष दें, ताकि वन क्षेत्र के हरे-भरे पेड़-पौधों को बचाया जा सके।