November 19, 2024

राज्य सरकार द्वारा पुलिस परिवार से वादा खिलाफी को लेकर दो अक्टूबर को आरक्षक संजीव मिश्रा निकालेंगे विश्वासघात पदयात्रा…

पटेल चौक से शिवनाथ नदी तक मुंडना कराकर घोषणा पत्र की प्रति शिवनाथ में करेंगे विसर्जित
भिलाई। राज्य की कांग्रेस सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव के समय 2018 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में पुलिस परिवार से जो वादे किये वो आज भी अधूरा है। ऐसे 70 से 80 हजार पुलिस वालों की आवाज बनकर मेरे द्वारा गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर को विश्वासघात पदयात्रा खाकी हाफपैंट व बनियान में दुर्ग के पटेल चौक से शिवनाथ नदी तक मुंडन कराकर शांतिपूर्ण ढंग से उम्मीदों की अर्थी का पदयात्रा करूंगा और उस घोषणापत्र को विसर्जित करूंगा। उन्होंने अपनी कुछ मांगों का एक पत्र सोमवार 25 सितंबर को कलेक्टर को मेरे द्वारा सात सुत्रीय ज्ञापन सौंपा गया है।
उक्त बातें आज पत्रकारों से चर्चा करते हुए छग पुलिस के दुर्ग में पदस्थ (सस्पेंड) संजीव कुमार मिश्रा जो कि दुर्ग पुलिस लाईन में पदस्थ ने कही। उन्होंने आगे कहा कि मेरा व समस्त पुलिस परिवार के लोगों का राज्य सरकार से निवेदन है कि पुलिस कर्मियों के पुलिस सुधार हेतु 2018 में जब आप उस समय प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष थे तो आपने तत्कालीन छग कांग्रेस प्रभारी पी एल पुनिया, वर्तमान संसदीय सचिव गृह विभाग विकास उपाध्याय की मौजूदगी में आपने पुलिस परिवार की पीड़ा को जाना और समझा था और सरकार बनने पर हम लोगों की समस्याओं के निराकरण करने की बात घोषणा पत्र में कही थी, लेकिन वह आज भी अधूरा है, जिससे कारण पुलिस वालों की स्थिति में कोई सुधार नही हो रहा है। मेरा आरोप प्रत्यारोप केवल राज्स सरकार पर ही नही है, तात्कालिक 15 सालों तक प्रदेश में राज करने वाली भाजपा सरकार पर भी है कि उन्होंने केवल रिस्पांउस भत्ता ही बढाया। कांग्रेस सरकार में पुलिस वालों का साप्ताहिक अवकाश जो कि थानेदार से लेकर सिपाही तक मिलने की बात कही जाती है वह केवल जुमलेबाजी है। मेरे उपर अब तक छ: एफआईआर हो चुकी है, जिसमें दो राजद्रोह व 4 पुलिस द्रोह का मामला छग पुलिस ने बनाया है और मुझे पता है कि मेरे उपर सातवा एफआईआर दर्ज होगा लेकिन मैं पुलिस परिवार की पीड़ा के लिए पीछे नही हटूंगा। पुलिस के बड़ेे अधिकारियों के बंगलों में बड़ी संख्या में तैनात आरक्षकों से घरेलू काम लिया जा रहा है जबकि इन आरक्षकों को मैदानी इलाकों में काम करवा कर जनता की सेवा करनी चाहिए। पुलिस विभाग में वेतन सही व अधिक मिलेगा तो पुलिस वाला भ्रष्टाचारी क्यों बनेगा? पूरे प्रदेश में 63 हजार पुलिस वालों में से मात्र 14 हजार लोगों के पास ही मकान है,पुलिस के बड़े अधिकारी कई मामलों में शासन को भी गुमराह कर रहे हैं। वर्षोँ से जमे हुए अफसरों का तबादला हर दो वर्ष में रेंज स्तर पर होना चाहिए। मेरी इस भ्रष्टाचार की आवाज में जो लोग मेरा साथ देंगे, तो स्वागत है, जो नही देगें तभी मैं पुलिस वालों के हक के लिए लड़ाई अंतिम सांस तक लडूंगा। हाल तो यह है कि इस राज्य में जेल डीजीपी व ईओडब्ल्यू के अधिकारी संविदा पर नौकरी कर रहे है,जब आईपीएस व सीपीएस का संगठन है तो सिपाही व अन्य पुलिस अधिकारियों का संगठन बनाने से आखिर क्यों गुरेज किया जा रहा है? यदि कोई आवाज उठाता है तो उसके उपर राजद्रोह व पुलिस द्रोह का धारा लगाकर एफआईआर दर्ज कर दी जा रही है। आखिर हम पुलिस वाले अपनी मांगों व समस्याओं को किसके पास रखें। मैं तो अभी सस्पेंड हूं। मेरा चार माह से जीवन निर्वाह भत्ता जो मिलता है उसे भी जानबूझकर रोक दिया गया है।
वही नगर सेना का भी जो छ: हजार रूपये वेतन बढा है वह भी हाईकोर्ट के निर्णय के बाद बढा है। राज्य सरकार कोई भी पुलिस वालों के वेलफेयर के मामले में निर्णय नही ले रही है इसपर जो भी निर्णय लिया जा रहा है वह हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार लिया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में राज्य में चुनाव होने जा रहा है, अभी भी संवेदनशील मुख्यमंत्री पुलिस परिवार की पीड़ा को समझे अन्यथा साढे चार लाख वोट इस बार पलट जायेगा। तात्कालिक समय में पुलिस परिवार के लोगों ने भाजपा सरकार को 65 सीटे और कांग्रेस को 75 सीटे दिलवाकर सरकार बनवाने का कार्य करते रहे हैं। जब पटवारी व नर्सोँ को वेतन बढ सकता है तो हम पुलिस वालों का क्यों नही?
बाक्स में
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंक ने कहा जनता को अपने नेता से सवाल पूछने का पूरा अधिकार है
नफरत की पहचान है या मुहब्बत की दुकान है जो मुझपर राजद्रोह व पुलिस द्रोह की धारा लगाया गया है
आरक्षक संजीव मिश्रा ने कहा कि घोषणा पत्र के मांगों को लेकर आवेदन निवेदेन करने पर मेरे उपर राजद्रोह व पुलिस द्रोह के साथ बड़ी बडी धाराएं लगाई जा रही है, एक छोटे से सिपाही के साथ ऐसा सलूक हो रहा है तो आम जनता के साथ क्या हो रहा होगा इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है, क्या ये मुहब्बत की दुकान है या नफरत की पहचान है। हाल ही में भिलाई आई कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने भाषण में कहा है कि जनता को जो उनके काम नही हुए है उसे अपने नेता से पूछने का अधिकार है तो आखिरकार मैं ऐसा क्या गलत कार्य कर रहा हूं जिसके लिए दुर्ग पुलिस मुझे रातदिन खोज रही है। लेकिन मैं पुलिस परिवार की मांग को लेकर सातवी एफआईआर भी दर्ज करवाने तैयार हूं और 80 हजार पुलिस परिवारों का हक अंतिम सांस तक उन्हें हक दिलवाकर ही रहूंगा।

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