अगर एक महीने तक गेहूं का आटा न खाएं तो सेहत को क्या फायदे होंगे,जानिए डिटेल
हमारी सेहत कैसी रहेगी ये हमारी रोजाना की जीवनशैली और खानपान के जरिए तय होता है. भारत समेत दुनियाभर में गेहूं का आटा काफी ज्यादा खाया जाता है. इससे बनी रोटी और ब्रेड का हमारे मील का अहम हिस्सा है, इसलिए हम इसे चाहकर भी छोड़ नहीं पाते. हालांकि इस आटे को सेहत के लिए उतना अच्छा नहीं माना जाता जिससे कई तरह की परेशानी हो सकती है. क्या आपने कभी सोचा है कि अगर एक महीने तक गेहूं का आटा न खाया जाए तो सेहत को क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं?
गेहूं का आटा छोड़ने के फायदे
1. वजन होगा कम
गेहूं का आटा फाइबर, प्रोटीन, और विटामिन बी से भरपूर होता है, जो वजन बढ़ाने में मदद करता है. अगर आप एक महीने तक गेहूं का आटा न खाते हैं, तो आपका वजन घट सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको अपने आहार से पूरी तरह से गेहूं का आटा हटा देना चाहिए. अक्सर गेहूं से दूरी वो लोग बनाते हैं जिनका मकसद तेजी से पेट और कमर की चर्बी घटाना होता है.
2. डाइजेशन में सुधार
आपने कई बार ये गौर किया होगा कि जो लोग हद से ज्यादा गेहूं के आटे की रोटियां खाते हैं उनको कब्ज, अपच और गेस समेत कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दरअसल ये चावल के मुकाबले ज्यादा देर में पचता है, इसलिए आपको ऐसी दिक्कत आ सकती है. अगर आप काफी दिनों तक गेहूं के आटे से दूरी बनाएंगे तो डाइजेशन में सुधार जरूर होगा. आप रोटियों की जगह गेंहू का दलिया खा सकते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
गेहूं का आटा छोड़ने के नुकसान
एक महीने तक गेहूं का आटा न खाने से आपकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है. इसमें फोटेल पाया जाता है जो मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाता है और तनाव को दूर करने में मदद करता है, हालांकि आपको डाइटीशियन के जरिए ये तय करना चाहिए कि कितनी रोटियां आपके हेल्थ के लिए सही है.
गेहूं का विकल्प क्या है?
अगर आप गेहूं के आटे की रोटियां नहीं खाना चाहते, तो इसके लिए मल्टीग्रेन आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं जो सेहत के लिए कहीं बेहतर होते हैं. आप जौ, बाजरे और रागी के आटे की रोटियां घर में पका सकते हैं.