इजरायल-हमास की लड़ाई का भारत पर क्या और कैसे असर पडे़गा! 5 पॉइंट में समझिए
इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग का असर भारत और दूसरे देशों पर पड़ना तय है। अर्थशास्त्री लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर जंग वेस्ट एशिया तक आई, तो कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी तय है। तेल की सप्लाई को लेकर भी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। लेकिन इसके बारे में विस्तार से जानने की जरूरत है।
विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अगर जंग वेस्ट एशिया तक फैलती है, तो इसका आकार व्यापक हो सकता है। कई और देश भी जंग में कूद सकते हैं। कच्चे तेल की सप्लाई को लेकर दुनिया के सामने चुनौतियां आ सकती हैं। ओपेक प्लस पहले ही कटौती कर चुका है। जो पेट्रोलियम निर्यातक और अन्य तेल उत्पादक देशों का संगठन है। उसकी कटौती के कारण ही कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है।
मंदी का कारण बन सकती है ये जंग
जियोपॉलिटिकल की दिशा में जाने पर जंग का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर भी हो सकता है। जिससे महंगाई के अलावा ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है। मंदी का कारण भी जंग बन सकती है। जिसका सीधा असर भारतीय रुपये पर हो सकता है। भारत का मौजूदा व्यापार इजरायल से 10 बिलियन डॉलर का है। मौजूदा साल में इजरायल से निर्यात 8.5 डॉलर का रहा है।
वहीं, आयात के हिसाब से बात करें, तो यह 2.3 बिलियन डॉलर का रहा है। अर्थशास्त्री तेल की कीमत और मुद्रा के जरिए ही आर्थिक प्रभावों का आकलन करते हैं। अगर वेस्ट एशिया तक लड़ाई फैलती है, तो कई प्रकार की बाधाएं दुनिया के सामने आएंगी। सरकार की ओर से कुछ कदम लोगों को राहत देने के लिए उठाए जा सकते हैं। वहीं, सोने की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है। जंग के कारण शनिवार को भी सोने के भाव कुछ बढ़ गए थे।
मुख्य असर
- कच्चे तेल की सप्लाई को लेकर चुनौती आ सकती है।
- सोने के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है।
- कई और देश भी जंग में कूद सकते हैं।
- जियोपॉलिटिकल वार के बाद ग्लोबल इकोनॉमी पर असर हो सकता है।
- भारत-इजरायल व्यापार पर असर हो सकता है।