November 17, 2024

आज शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन, मां स्कंदमाता का ऐसे करें पूजन

नवरात्र के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। आप सभी को बता दें कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी कार्य पूरे होते हैं। आप सभी को बता दें कि मां स्कंदमाता की पूजा करने के बाद उनकी आरती करना जरूरी है क्योंकि बिना आरती के पूजा का फल नहीं मिलता। तो आइए आपको बताते हैं मां स्कंदमाता की पूजन विधि और आरती… 

स्कंदमाता की पूजा विधि- 
पूजा करने के लिए सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें तथा इसके पश्चात् गंगा जल से शुद्धिकरण करें। अब इसके बाद उस चौकी में श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। अब वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसके बाद इसमें आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात, प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

स्कंदमाता के लिए मंत्र- 
इस मंत्र का 11 बार जप करें- सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कंदमाता की आरती:-
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

कुमुद के पुष्प का अर्पण:-
मां स्कंदमाता को कुमुद पुष्प देवी को अति प्रिय है। वैसे तो देवी पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी तरह के पुष्पों का अपना महत्व है। देवी को सभी तरह  के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, किन्तु अगर शास्त्रसम्मत बात करें तो स्कंदमाता के पूजन में कुमुद के पुष्प से पूजन अर्चन और मंत्र अर्चन करना उत्तम होता है।