छत्तीसगढ़ में लाभ के पद से बाहर 300 ‘कुर्सियों’ के लिए दो हजार दावेदार
रायपुर। लाभ के पद से बाहर तीन प्राधिकरणों में नौ विधायकों को पद मिलने के बाद अब बचे हुए 126 निगम, मंडल, आयोग, प्राधिकरण और समितियों के 300 पदों के लिए दो हजार दावेदारों की टकटकी लग गई है। इसमें पार्टी के 47 विधायक भी शामिल हैं।विधानसभा चुनाव में दो हजार दावेदार थे, जिन्हें टिकट नहीं मिली या चुनाव हार गए, वो बची हुई कुर्सियों के लिए अपनी दावेदारी मजबूत मान रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संगठन के उन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी संतुष्ट करना चाहेंगे, जिन्होंने 15 साल सत्ता से दूर रहने के बावजूद कांग्रेस के साथ संघर्ष किया।पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में 128 निगम, मंडल, आयोग, प्राधिकरण और समितियां थीं। कांग्रेस सरकार ने मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण नया बना दिया है। इससे अब संख्या 129 हो गई है। सरगुजा, बस्तर व मध्यक्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और दो-दो उपाध्यक्षों के पदों पर विधायकों की नियुक्ति कर दी गई है।
अब बचे हुए निगम, मंडल, प्राधिकरण और समितियों के लिए विधायकों व संगठन के नेताओं, पदाधिकारियों ने लॉबिंग शुरू कर दी है। मंत्री पद के दावेदार वरिष्ठ विधायकों की निगम, मंडल, आयोग व समितियों में कुर्सी सुरक्षित मानी जा रही है।बची हुई 300 कुर्सियों के लिए कांग्रेस के भीतर दो खेमा है। एक खेमे में ऐसे नेता हैं, जो विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन अब निगम, मंडल, प्राधिकरण व समिति की कुर्सी की आस लगाए बैठे हैं। ऐसे नेता पहले से लॉबिंग कर रहे हैं।दूसरे खेमे में संगठन के पदाधिकारी और जिन्हें टिकट नहीं मिला है, वो नेता हैं। दूसरे खेमे के लोगों का कहना है कि जिन्हें पार्टी ने टिकट दिया, वो चुनाव हार गए, तो यह उनकी कमजोरी थी। अब निगम, मंडल, प्राधिकरण या समिति के पदों पर उनकी नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। जिन्हें चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला, उनकी नियुक्ति की जानी चाहिए।