डॉ. दीपक कोठारी अपनी बदनामी व गलत कृत्यों को छिपाने के लिए खेल रहे है विक्टम कार्ड का खेल-डॉ. दीपक वर्मा
डॉ. कोठारी दुर्ग,भिलाई व राजनांदगांव में घूम घूमकर मरीजों को प्रलोभन
दे अपने निजी नर्सिंग होम में बुलाकर करते है लापरवाही पूर्वक इलाज
स्पर्श अस्पताल प्रबंधन के पास डॉ. कोठारी के विरूद्ध है कई मरीजों का
रिकार्डिंग और बयान
भिलाई। इस मारपीट के मामले में स्पर्श हॉस्पिटल के प्रबंध निर्देशक डॉ
दीपक वर्मा सहित अन्य डायरेक्टरों डॉ. संजय गोयल, डॉ. ए पी सावंत,
श्रीमती सपना गोस्वामी, अखिल मडामे, निलिखेश दावडा ने अपना पक्ष रखते हुए
कहा कि 12 जनवरी को हमारे अस्पताल में जो घटना घटी है, उसे गलत तरीके से
सोशल मीडिया में प्रचारित किया जा रहा है, जो कि गलत है, स्पर्श हॉस्पिटल
पिछले दस सालों से अपने मरीजों के प्रतिबद्धता एवं सेवाओं से अपनी पहचान
बनाया हुआ है, डेंगू एवं कोविड जैसे कठिन समय में भी हमारी डॉक्टरों की
पूरी टीम ने पूरी दृढता के साथ जनता का इलाज किया। इन सारे कार्यों का
नेतृत्व डॉ संजय गोयल और डा.दीपक वर्मा द्वारा लगातार किया गया। इन दोनो
डॉक्टरों ने अपनी निजी पे्रक्टिस एवं निजी क्लिनिक को त्यागकर अपना पूरा
कैरियर व पूरा समय स्पर्श हॉस्पिटल के लिए समर्पित कर दिया लेकिन अत्यंत
दुख के साथ कहना पड रहा है कि हमारी इस टीम में कुछ ऐसे लोग भी रहे है,
जिन्होंने अपने निहित स्वार्थों की वजह से विभिन्न तरीकों से संस्था को
लगातार नुकसान किया जिसमें से एक व्यक्ति डॉ. दीपक कोठारी है। इनके
द्वारा संस्था के मरीजों को इलाज के लिए प्रलोभन देकर अपने निजी क्लिनिक
एवं नर्सिंग होम में बुलाने का कार्य लगातार किया जाता रहा है, जिसकी वजह
से स्पर्श संस्था को लगातार नुकसान हुआ है, साथ ही इस अस्पताल की छवि भी
खराब की गई है। आपको यहां ये बताना भी जरूरी है कि एक बडे अस्पताल को
चलाने के लिए मैनेजमेंट द्वारा कठिन परिश्रम और पैसा खर्च किया जाता है।
इसके बाद भी यदि संस्था के डॉक्टर संस्था के मरीजों को अपने निजी नर्सिंम
होम एवं क्लिनिक में बुलाकर इलाज करते है, तो उनसे न केवल आर्थिक नुकसान
होता है बल्कि मरीज को भटकना भी पडता है। हमारी संस्था ने 550 परिवारों
को रोजगार दिया हैं एंव कई डॉक्टरों को कार्य करने के लिए एक अच्छा
प्लेटफार्म दिया है।विभिन्न आपदाओं में समाज में अपनी विषिष्ट सेवा
प्रदान की है। ऐसे में संस्था के कुछ डॉक्टरों द्वारा संस्था को नुकसान
किया जाये यह मान्य नही है। डॉ. दीपक कोठारी दुर्ग भिलाई, राजनांदगांव व
रायपुर में घूम घूम कर ऑपरेशन करते है, और ऑपरेशन करके मरीजों को उनके
हाल में छोड देते हैं तथा उन्ही में से कई मरीजों को अपने अस्पताल में
इलाज के लिए बुलवाते है। डॉ. दीपक कोठारी इस तरह का कार्य कई सालों से कर
रहे थे, इसके लिए उन्हें समय समय पर ऐंसा नही करने का निवेदन भी किया गया
व समझाईश भी दी गई है, लेकिन उनके आदत व व्यवहार में कोई परिवर्तन नही
आया। इसी मुद्दे को सुलझाने के लिए12 जनवरी को डॉ. दीपक कोठारी को मीटिंग
के लिए बुलाया गया। उन्हें उनके इलाज के दौरान की जाने वाली लापरवाही के
बारे में भी बताया गया और गलत काम करने से मना किया। डॉ. दीपक कोठारी
आवेश में आ गये और गाली गलौच करने लगे जिसकी वजह से अप्रियि स्थिति
निर्मित हुई और झूमाझटकी हुई। डॉ. दीपक केाठारी ने बदनामी से बचने के लिए
और अपने कृत्यों को छिपाने के लिए कल 12 जनवरी को एक विक्टम कार्ड खेला
एवं एक ऐसी कहानी बनाई जिससे उन्हें सभी लोगों की सहानुभूति मिल जाये और
उनकी सारी गलती छुप जायें। उन्होंने आईएमए से एक तरफा अपील की है जो कि
सरासर गलत है। यहां ये बताना लाजिमी है कि स्पर्श अस्पताल में ऐसे बहुत
से मरीजों की फोन रिकार्डिंग एवं लिखित बयान हमारे पास उपलब्ध है जो डॉ.
दीपक कोठारी द्वारा किये गये कुकृत्यों को उजागर करते है, ऐसे ही लोगों
ने डॉक्टरों के समाज को विभिन्न तरीके से बदनाम कर रखा है, और पोल खुलने
के डर से समाज के बीच विक्टम कार्ड खेलने का नाटक किया जा रहा है। ये लोग
वही मछली होते है जो पूरी तालाब को गंदा करते है, ऐसे लोग जिस थाली में
खाते है, उसी में छेद करते है। ऐसे लोगों के वजह से आज डाक्टरों को
जनआक्रोश का सामना करना पडता है। स्पर्श अस्पताल प्रबंधन ऐसे लोगों की
घोर निंदा व भत्र्सना करता है और समाज को वचन देता है, अपनी सेवाओं और
मरीजों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए सदैव समर्पित रहेगा।