शास पुर्व माध्यमिक शाला ग्राम ढौर में वार्षिक उत्सव एवं स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विजय बघेल सांसद दुर्ग लोकसभाअध्यक्षता डोमन लाल कोर्सेवाडा
विधायक विशिष्ट अतिथि रेखराम बंछोर सरपंच श्रीमती कुसुम बघेल अरविंद जाड़े एम एल पटेल डोमेश्वर साहू प्रकाश चन्द्राकार सांसद विजय बघेल जी ने अपने उद्बोधन में कहा जब भी मैं स्कूल में जाता हूं तो मुझे भी अपना बचपन याद आता है हम लोग भी जब प्राइमरी मीडिल स्कूल में हुआ करतें थे गांव में इसी तरह बच्चों में हमारे भुव जनों के आदेश से उनके संचालन में कार्यक्रम किया करते रहते थे कितना अच्छा लगता था वो जीवन छोटे छोटे बच्चों की प्रस्तुति को मैं देख रहा था उसमें मैं अपने आप को भी ढुंढ रहा था वाक्य में शायद हम भी कहीं है इसमें वे जीवन भी निश्चित जीवन है बिना हिचक बिना डर भय के बस अपनी प्रस्तुति देते रहो देते रहो मूजिक बंद हो जाएं तब भी थिरकते रहते हैं उनकी थिरकन के साथ में हम कहीं मन में थिरक रहे थे कितना सुन्दर दृश्य था छोटे-छोटे बच्चों की उनकी प्रस्तुति मन को भाती है जो जीवन हम जी रहे हैं उस जीवन में सब परेशान हैं हतास है किसी के मनों में संतोष नहीं है लेकिन बच्चों के मन में संतोष है उन्होंने प्रस्तुति दी हमने थालियों को बजाएं कितना खुश हो कर यह से बच्चे गये लेकिन इन बच्चों के मन में संतोष है ये है बचपन है ये स्कूल बहुत ही सैकड़ों साल पुराना है एक सौ तेईस साल पुराना 1901 में इसकी स्थापना हुई ये सोचिएआज से एक सौ तेईस साल पहले कितना पिछड़ पन रहा होगा कितनी रुड़ी वादीता रही होगी कितने लोग अशिक्षित रहे होंगे तब यह के बुजुर्गो ने कितनी मेहनत कर के शिक्षा को महत्व देते हुए यहां के स्कूल की शुरुआत कि स्कूल को जीवित रखा न जाने यहां से कितनी पीडिया यहां से शिक्षित हो कर निकली होगी आज इस स्कूल के वार्षिक उत्सव में उपस्थित होना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है यह के बुजुर्गों को जो स्वर्गवासी हो गये मैं उन को नमन करता हूं शिक्षा का अलख जगाने में उस समय कितनी मेहनत की होगी अंग्रजों का जमाना था उस समय क्या माहौल होगा ये सोच कर भी हम कल्पना नहीं कर सकते स्कूल कैसे खुला होगा मैं जब भी स्कूलों में जाता हूं तो लड़के और लड़कियों की संख्या पुछता हुं ज्यादा तर लड़कियों की संख्या जरुर पुछता हुं लड़कीयों की संख्या स्कूलों मेंअधिक रहती है स्कूलों में कालेजों में और लड़कों कि कम मेरे मन में मैं कभी कभी सोचता हूं कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का प्रतिफल है अब लड़के कम हो रहें आने वाले समय में लड़के पढ़ाओ अभियान चलना पड़ेगा ऐसा लगता है हर क्षेत्र में बच्चियां आगे आ रही है इस साल भी बच्चियां आगे आ गई है ये काबिलियत है हमारी बेटियों की नरेन्द्र मोदी जी ने प्रभु श्री राम को अयोध्या से यह पर उतर दिए हैं ऐसा लगता है 22 जनवरी का इंतजार करें बिना यह पर भव्य आयोजन किया कितनी अच्छी प्रस्तुति दी मैं चाहता हूं 22 जनवरी को भी यही पर और फिर से ये कार्यक्रम हो पुरे गांव के सामने जब हम भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे उस दिन दीपावली हो हर घर में हर दिल में दिवाली हो हर आत्मा में दिवाली हो हर कंण कंण में राम हो एक यादगार बनाएंगे जन जन को हम प्रेरित करेंगे हर घर हर चौक चौराहे मे दीप जलाना चाहिए दीवाली से भी बड़ी दीवाली मनाएंगे इस अवसर पर राहुल टेमलके प्रकाश चन्द्राकार शिक्षक शिक्षिका एवं छात्र छात्राएं अत्यधिक संख्या में उपस्थित रहे