सिर्फ अयोध्या में ही नहीं बल्कि यहां भी है रामलला की काली मूर्ति, बहुत रोचक है मूर्तियों के नदी से बाहर आने की कहानी
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का दिन ऐतिहासिक अक्षरों में लिखा जाएगा. जिसके लिए सदियों से लोग इंतजार कर रहे थे वह सपना 22 जनवरी 2024 के दिन पूरा हुआ है. प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के बाद जिस तरह से रामलला की भव्य और दिव्य मूर्ति को देखने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रभु श्री राम के प्रति लोगों के अंदर कितनी आस्था है.
बता दें कि केवल अयोध्या का राम मंदिर ही प्रभु श्री राम की काली मूर्ति स्थापित नहीं है बल्कि नासिक में भी एक ऐसा मंदिर है जहां पर प्रभु श्री राम की काली मूर्ति के दिव्य रूप के दर्शन कर सकते हैं. इस मंदिर का नाम कालाराम मंदिर है. यह मंदिर नासिक के पंचवटी तीर्थ स्थल में स्थित है.
कालाराम मंदिर के अर्थ को समझे तो काला राम है. कालाराम मंदिर में प्रभु श्री राम के अलावा माता सीता और भगवान लक्ष्मण की भी मूर्ति स्थापित है. वहीं राम भक्त हनुमान की भी काली मूर्ति को मंदिर के मुख्य द्वार पर देखा जा सकता है.
कालाराम मंदिर की स्थापना सरदार रंगराव ओधेकर द्वारा 1792 में किया गया था. दरअसल ओधेकर को एक सपना आया था जिसमें उन्होंने देखा कि गोदावरी नदी में भगवान राम की काली मूर्ति उन्हें मिली है. जिसके बाद असल में मूर्तियों को निकाला गया और फिर मंदिर की स्थापना की गई. जहां पर मूर्ति मिली थी उस जगह को रामकुंड का नाम दिया गया. इस मंदिर को बनाने में 12 वर्ष का समय लगा था. वहीं इस मूर्ति की लंबाई 2 फीट की है.
मंदिर की 14 सीढ़ियों की खासियत
इस मंदिर में 14 सीढ़ियां हैं जो प्रभु श्री राम के 14 वर्ष के वनवास को दर्शाती है. वहीं मंदिर के 84 स्तंभ 84 लाख प्रजातियों के चक्र के बारे में बताती है.
नासिक का पंचवटी है खास
नासिक के पंचवटी के दण्डक वन में ही प्रभु श्री राम वनवास के दौरान कुटिया बना कर कुछ दिन रहे थे. यहां पर 5 बरगद के पेड़ हैं इसलिए इसे पंचवटी कहते हैं. यही वह जगह जहां पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी और लंकापति रावण ने यहीं से माता सीता का हरण भी किया था.