पूर्व मुख्य महाप्रबंधक अजय बेदी ने अपने अनुभव साझा की
*”समस्या आने पर समाधान ढूंढने के लिए समन्वयक बन कर टीम को चुनौती दें और प्रोत्साहित करें”*
मर्चेंट मिल और वायर रॉड मिल के मुख्य महाप्रबंधक के पद से नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त हुए श्री अजय बेदी ने अपने अनुभव साझा किए। अपने कार्यकाल के दौरान आई चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए वे बताते हैं कि अपनी टीम के साथ लिए गए निर्णयों और कार्यों ने संगठन को कैसे प्रभावित किया।
*श्री बेदी कहते हैं -* मैंने बीएसपी में कुल 37 साल तक काम किया। मैं वर्ष 1985 में यहाँ शामिल हुआ और ब्लूमिंग एंड बिलेट मिल में पदस्थ हुआ, जहां मैंने 26 साल बिताए। इसके बाद, मैंने कुछ समय रेल और स्ट्रक्चरल मिल तथा कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) सचिवालय में कार्य किया। इसके बाद सम्पर्क एवं प्रशासन विभाग में एक लंबा कार्यकाल बिताया और फिर मैं नवंबर 2022 में मर्चेंट मिल एंड वायर रॉड मिल के मुख्य महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुआ।
*चुनौतियाँ और समाधान:* सभी क्षेत्रों में चुनौतियाँ अपने तरीके से अद्वितीय थीं। जब मैं 1985 में बीबीएम में शामिल हुआ तो मैनपॉवर की कोई कमी नहीं थी। 1990 में बीबीएम में मैकेनिकल मेंटेनेंस में हम 26 अधिकारी थे, लेकिन जब मैंने 2010 में बीबीएम छोड़ा, तो हम केवल 12 अधिकारी थे जबकि तब तक उत्पादन में पहले के तुलना में काफी बढ़ोतरी हो गई था।
नॉन-वर्क्स क्षेत्र में पदस्थ होकर सम्पर्क एवं प्रशासन विभाग में काम करना बिल्कुल ही अलग था। यहाँ के कार्य और चुनौतियाँ, वर्क्स क्षेत्र से बिल्कुल अलग थे। उन दिनों विभागाध्यक्ष के कार्यालयों और आने वाले मेहमानों के लिए कैज़ुअल वाहन अनुबंध के माध्यम से कारों को उपल्ब्ध कराने का काम एक बुरा सपना जैसे था!
भिलाई निवास में मेहमानों की देखभाल करना और उनकी जरूरतों को पूरा करना बहुत चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि वहां कैटरिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं थी और रिसेप्शन के साथ हाउसकीपिंग का काम भी बीएसपी कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था। इनमें से कुछ कर्मचारी तो मेडिकल अनफिट आधार पर भिलाई निवास में पदस्थ संयंत्र के कर्मचारी थे। बेस किचन की मदद से खाना पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन यह केवल स्टॉप गैप व्यवस्था थी, जिससे आने वाले मेहमानों को बहुत परेशानी होती थी। इसके बाद, हमने कई संभावनाएं तलाशीं और रुचि की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट) जारी की जिसमें कई वेंडर्स ने भाग लिया। हमने सब अलग-अलग विचार एकत्र किए और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भिलाई निवास में 24 एकड़ की विशाल संपत्ति के कारण अच्छे वेंडर्स इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं।
तब हमने अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में अपनाए गए मॉडल का अध्ययन किया। हमने पाया कि एनटीपीसी, एनएमडीसी आदि ने अपने गेस्ट हाउस के प्रबंधन के लिए इंडियन कॉफी हाउस को नियुक्त किया था।
सारे पहलुओं का अध्यन के बाद दो समितियाँ गठित की गईं। स्थिति का अध्ययन करने और सिफारिशें देने के लिए एक निचली समिति का गठन किया गया था। निचली समिति की सिफारिशों की जांच करने और अंतिम अनुशंसा करने के लिए एक उच्च समिति का गठन किया गया जिसमे तीन कार्यपालक निदेशक सदस्य थे।
दोनों समितियों ने सिफारिश की, कि मेसर्स आईसीडब्ल्यूसीएस लिमिटेड (इंडियन कॉफी हाउस) को भिलाई निवास में कैटरिंग, फ्रंट डेस्क और हाउसकीपिंग से संबंधित तीनों काम सिंगल टेंडर के आधार पर दिए जाएं। प्रबंधन की मंजूरी से भिलाई निवास के दैनिक संचालन का कॉन्ट्रैक्ट इंडियन कॉफी हाउस को दिया गया। आज भी मुझे लगता है कि इससे बेहतर कोई समाधान नहीं था। आज भिलाई निवास आने वाले सभी मेहमान और स्थानीय नागरिक इस व्यवस्था से खुश हैं। कॉफी हाउस की शुरुआत के बाद भिलाई का दौरा करने वाले सेल के एक अध्यक्ष ने भिलाई दौरे के दौरान टिप्पणी की, कि भिलाई निवास में रहना और वहाँ कि व्यवस्था उनके भिलाई दौरे का सबसे अच्छा अनुभव था!
इसी तरह, हमने पाया कि कई प्रगतिशील संगठन वाहन खरीदने या उसके लिए अनुबंध करने के बजाय लीज पर ले रहे थे। हम भी इस मॉडल को फॉलो करने लगे और मैं बीएसपी में लीज संस्कृति शुरू करने का श्रेय ले सकता हूं । परिणामस्वरूप सभी उपयोगकर्ता वाहन की स्थिति (condition) से खुश हैं जबकि अनुबंधित वाहनों के साथ ऐसा नहीं था।
*कोविड दौरान मर्चेंट मिल में चुनौती पर विजय :* कोविड के दौरान ब्लूमिंग एवं बिलेट मिल को बंद करने का निर्णय लिया गया। यह मर्चेंट मिल के लिए एक चुनौती बन गया क्योंकि बीबीएम से बिलेट्स का इनपुट सेक्शन 95X95 मिमी और 100X100 मिमी हुआ करता था। लेकिन एसएमएस 3 से इनपुट सेक्शन केवल 105X105 मिमी था। इस चुनौती से निपटने के लिए, मर्चेंट मिल के समूह ने रीहीटिंग भट्टियों को संशोधित किया और आरटीएस विभाग की मदद से रोलिंग के लिए पास को संशोधित किया।
अन्य विभागों में कार्य करने के लिए तैयार रहें- मैं कहना चाहता हूं कि लोगों को बेहतर अनुभव के लिए अन्य विभागों में जाने के लिए तैयार रहना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है “घूमते रहने वाली मधुमक्खी अधिक शहद इकट्ठा करती है।”
*कुछ और पहल -* जैसा कि मैंने पहले बताया था कि मर्चेंट मिल के समूह ने मेकॉन या सीईटी किसी भी बाहरी मदद के बिना एसएमएस-3 बिलेट्स के साथ रोलिंग को अनुकूलित करने की पहल की और अपने रोलिंग प्रक्रिया को संशोधित किया। इसी तरह जब बीबीएम के बंद होने के कारण रिमिंग ग्रेड इस्पात की रोलिंग बंद हो गई तो डब्ल्यूआरएम का समूह, नए बाजार को अधिग्रहित करने के लिए उच्च कार्बन ग्रेड रोलिंग करने लगा।
*मेरी भूमिका -* मैं अपनी भूमिका को ‘केवल एक फैसिलिटेटर (समन्वयक)’ के रूप में देखता था. जब भी मेरी टीम चुनौतियों का सामना करती तब मैं उनके सहायता के लिये साथ रहता.
*निष्पादन में सुधार की कुंजी:* कर्मियों को चुनौतीपूर्ण कार्य दिए जाने चाहिए और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनके मनोबल को नियमित रूप से भांपना और बढ़ाना चाहिए।
*वर्क लाइफ बैलेंस:* स्टील प्लांट में काम करना कठिन है क्योंकि इसमें लंबे समय तक काम करना, 24 घंटे ऑन कॉल उपलब्ध रहना, तीनों शिफ्टों में रिपोर्ट लेना और हमेशा संपर्क में रहने की आवश्यकता होती है, यहां तक कि रविवार को भी। आपके दिमाग में ये सारी बातें रहती है। यह मुझे आश्चर्यचकित करता है कि अन्य संगठन पांच दिवसीय सप्ताह का कार्य कैसे करते हैं, टाटा स्टील भी इसे लागू कर रही है। जहाँ तक मेरी बात है, मुझे कहना होगा, मैने कार्य और अपनी जीवन-शैली के बीच काफी अच्छा संतुलन बनाया।
*भिलाई में जन्म, भिलाई में ही रह गए :* मेरा जन्म भिलाई में ही हुआ। बहुत से लोग शायद यह नहीं जानते होंगे कि जेएलएन अस्पताल, सेक्टर 9 के अस्तित्व में आने से पहले, अस्पताल की सुविधा 32 बंगलों में थी। मैंने संयंत्र की सेक्टर 3 और सेक्टर 5 स्कूल में माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की और सेक्टर 10 स्कूल में हायर सेकंडरी की पढ़ाई की। मैंने 2003 में लीज पर घर खरीद लिया था।