November 22, 2024

बड़ी समस्या बनती जा रही है साइबर बुलिंग, जानिए कैसे बच्चे हो रहे हैं इसका शिकार?

अगर आप सोशल मीडिया और इंटरनेट पर सक्रिय हैं तो आपने साइबर बुलिंग के बारे में जरूर सुना होगा. आपको बता दें कि साइबर बुलिंग एक गंभीर समस्या बन गई है. अब आपके मन में ये सवाल चल रहा होगा कि ये क्या है और कैसे काम करता है. साइबर बुलिंग इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के जरिए की जाती है. इसमें एक व्यक्ति या लोग इंटरनेट प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, ईमेल, टेक्स्ट मैसेज आदि के जरिए दूसरे व्यक्ति को निशाना बनाते हैं.

यानी समझ लीजिए कि यह एक तरह का इंटरनेट हमला है, जो लोगों की आर्थिक और मानसिक स्थिति पर असर डालता है.साइबर बुलिंग कई रूप हो सकती है, जैसे अपमान, बदनामी, धमकी, गलत सूचना फैलाना, व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग करके धमकी देना, इंटरनेट पर गंदी तस्वीरें और वीडियो साझा करना और अन्य बुरे व्यवहार वाली गतिविधियां यानी कुल मिलाकर सामने वाले को ब्लैक मेल करना.

साइबर बुलिंग के शिकार हो रहे हैं बच्चे?

आपको जानकार हैरानी होगी कि बच्चे विशेष रूप से साइबर बुलिंग के शिकार होते हैं. वे अकेले और अनसुने होते हैं, जिससे उन्हें आत्मविश्वास कम होता है और वे अधिक कंटेंटेड नहीं रहते हैं. यह उनके शिक्षात्मक और सामाजिक विकास को प्रभावित करता है और उन्हें अधिक संतुष्टियुक्त नहीं रहने की स्थिति में डाल सकता है. साइबर बुलिंग का सामना करने वाले बच्चों को उनके अभिभावकों और शिक्षकों का समर्थन और सहयोग करना चाहिए. साइबर बुलिंग के खिलाफ सतर्कता बढ़ाने के लिए वे अपने बच्चों को सुरक्षित इंटरनेट का उपयोग करने के लिए सिखाएं, सक्रिय रूप से उनके साथ रहें, और संवेदनशीलता के साथ उनकी बातचीत करें.

भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं साइबर बुलिंग के मामले? 

इसके अलावा, साइबर बुलिंग के मामलों को स्थानीय अधिकारिकों और पुलिस को रिपोर्ट करना भी महत्वपूर्ण है. ऐसा करने से उनकी सुरक्षा की गारंटी होती है और बुली करने वालों को सजा होने की संभावना होती है. साइबर बुलिंग एक गंभीर समस्या है जिसे हमें समाज में जागरूक करने और उसका सामना करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए. explodingtopics.com के मुताबिक, 64% अमेरिकी युवा वयस्कों (18-29) ने साइबरबुलिंग के शिकार हुए हैं.वहीं, अगर भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें तो, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर 216,739 शिकायतें मिलीं, ये सभी मामले जनवरी 2022 से मई 2023 के बीच दर्ज किए गए थे.