May 2, 2024

गुलाब, पालक, चुकंदर से महिलाएं बना रही हैं हर्बल गुलाल, कर रही लाखों कमाई

 

रायपुरः होली का त्योहार नजदीक आ रहा है और रंगों की तैयारी जोरों पर है. इस बार आप केमिकल युक्त गुलाल से दूर रहकर हर्बल गुलाल का इस्तेमाल करके होली को सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं. होली के त्योहार पर एक दूसरे को तरह तरह के रंग लगाकर उत्साह से सभी परिवार के साथ पर्व मनाते हैं. ऐसे में रंगों में केमिकल के इस्तेमाल को लेकर विशेष ध्यान रखना पड़ता है लेकिन इस बार आप केमिकल फ्री गुलाल से होली खेलकर जश्न को सुरक्षित बना सकते हैं. दरअसल छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले स्थित डोकरपाली गांव के बिहान से जुड़ी जय माता दी की स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है.
हर्बल गुलाल लगाने से चेहरे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे इन हर्बल गुलाल की कई विशेषताएं हैं.इसमें रंग और सुगंध के लिए फूलों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता ताकि चेहरे को कोई नुकसान न हो सके. समूह की सदस्य चित्ररेखा दीवान ने बताया कि पिछले साल होली में 80 किलो हर्बल गुलाल महिलाओं ने बनाया था. जिससे 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी समूह को हुई थी. होली के पर्व के समय बाजार में गुलाल की काफ़ी डिमांड रहती है.
गुलाल बनाने की विधि
महिलाओं का कहना है, कि 10 रुपए, 20 और 50 रुपए के हर्बल गुलाल के पैकेट बाजार में आसानी से बिक जाते हैं. गुलाल बनाने के लिए पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी, बुटी व फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा मंदिरों तथा फूलों के बाजार से निकलने वाली इस्तेमाल किए हुए फूल पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जाता है. गुलाब, गेंदे, स्याही फूल के साथ चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस किया जाता है.
इस बार भी लगभग 60 किलोग्राम गुलाल तैयार कर लिया गया है. जिसमें से आधी मात्रा बिक गई है. गुलाल अनेक रंगों में बनाए जा रहे है जिसमें हरा, गुलाबी, पीला, केसरिया गुलाल शामिल है. अधिक जानकारी और सुगंधित हर्बल गुलाल के ऑर्डर के लिए महिला समूह के मोबाइल नंबर 6260392913 पर संपर्क कर सकते हैं.