November 24, 2024

छत्तीसगढ़ की काशी में विराजते हैं दुर्लभ शिवजी, राजा ने बनवाया था मंदिर, भगवान राम से जुड़ा है अनोखा किस्सा

पांच ललित कला केन्द्रों में से एक और मोक्षदायी नगरी माना जाने के कारण छत्तीसगढ़ की काशी कहलाने वाले खरौद में एक दुर्लभ शिवजी के लक्षलिंग स्थापित हैं. इसे लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर छत्तीसगढ़ की धर्मनगरी शिवरीनारायण से 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे खरौद नगर में स्थित है. रामायणकालीन इस मंदिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग है जिसमें एक लाख छिद्र हैं. रतनपुर के राजा खड्गदेव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था.

विद्वानों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण काल 6वीं शताब्दी माना गया है. इस मंदिर के निर्माण के पीछे की कथा बड़ी ही रोचक है. साथ ही इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि सुनने वाले और देखने वाले को इस पर यकीन करना मुश्किल होगा. जानकार बताते हैं कि रावण का वध करने के बाद श्रीराम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा, क्योंकि रावण एक ब्राह्मण था. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम और लक्ष्मण रामेश्वर लिंग की स्थापना करते हैं.

शिव के अभिषेक के लिए लक्ष्मण सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों से जल एकत्रित करते हैं. इस दौरान वे गुप्त तीर्थ शिवरीनारायण से जल लेकर अयोध्या के लिए निकलते समय रोगग्रस्त हो गए. रोग से छुटकारा पाने के लिए लक्ष्मण ने भगवान शिव की आराधना की. इससे प्रसन्न होकर शिव दर्शन देते हैं और लक्षलिंग रूप में विराजमान होकर लक्ष्मण को पूजा करने के लिए कहते हैं.

लक्ष्मण शिवलिंग की पूजा करने के बाद लक्ष्मण रोग मुक्त हो जाते हैं और ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पाते हैं. इस कारण यह शिवलिंग लक्ष्मणेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. मंदिर के बाहर परिक्रमा में राजा खड्गदेव और उनकी रानी हाथ जोड़े स्थित हैं. हर साल यहां महाशिवरात्रि के मेले में शिव की बारात निकाली जाती है.

कहते हैं भगवान राम ने इस स्थान में खर और दूषण नाम के असुरों का वध किया था. इसी कारण इस नगर का नाम खरौद पड़ा. हर साल महाशिवरात्रि पर्व पर महादेव की बारात निकाले के पर्व को धूम धाम से मनाया जाता है. वहीं भक्तों के लिए ग्रामीण और मंदिर ट्रस्ट के द्वारा भोग भंडारा का भी आयोजन किया है. हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के अनोखे रूप के दर्शन करने आते हैं,