May 17, 2024

हाथी समस्या का समाधान करेगा हाथी अभयारण्य

उम्मीद की जा रही है कि छत्तीसगढ़ की हाथी समस्या का शीघ्र ही समाधान होगा.हाथियों के लिये एक पृथक से अभयारण्य कोरबा जिले के लेमरु के जंगल में बनाया जायेगा.स्वतंत्रता दिवस; के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में ये घोषणा की जो स्वागतेय है.इससे न केवल हाथी मानव द्वंद का सुखद पटाक्षेप होगा वरन हाथियों के एक स्वतंत्र अभयारण्य का निर्माण हो सकेगा जो देश में अपने ढंग का पहलाऔर अनोखा होगा.लेमरु वन क्षेत्र में विस्तृत रुप से फैले इस अभयारण्य में निकट भविष्य में हाथियों को देखने पर्यटक आ सकेंगे और यह आकर्षण का केंद्र बन सकेगा.सघन वन वाले लेमरु वन क्षेत्र को हाथियों के प्राकृतिक आवास के रुप मे विकसित किया जायेगा.इसे सुरक्षित रखे जाने के साथ ही हाथियों के आम स्थानों पर आवाजाही तथा इससे होने वाले नुकसान पर रोक लगेगी.यह हाथियों का स्थाई ठिकाना बन सकेगा.पिछले दो दशक से लगातार बढते हाथी मानव द्वंद से जानमाल की भारी क्षति हो चुकी है.जंगलों का दायरा घटने के साथ ही हाथियों की तादात भी बढी है.हाथियों के दल रिहायसीक्षेत्रों तक आनेऔर इधर से उधर भगाये जाते रहे हैं.जानमाल को नुकसान पहुंचातेऔर घरों को तोडते रहे हैं.
यह हाथी समस्या कोई एकबएक पैदा नहीं हुवी.पर हाथी समस्या हाथी से भी बहुत बड़ी हो गई.90 के दशक में झारखंड में जंगलों की कटाई से छत्तीसगढ में हाथियों का आगमन हुआ.नया प्रदेश बनते समय 2000में कुल 100हाथी थे .वर्तमान में कुल 250 हाथी हैं.हालिया एक दशक में वन विभाग नेहाथियों के रहवास क्षेत्र में 64 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.ज्यादातर राशि राशि फसल और जनहानि के मुआवजे के रुप में दी गई है.
..तपन मुखर्जी..