नवरात्री के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की होती है पूजा, इस पूजाविधि और मंत्र से खुश हो पूरी करती हैं हर इच्छा
मां दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघंटा है। नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का यह स्वरूप बेहद ही सुंदर, मोहक, अलौकिक, कल्याणकारी व शांतिदायक है। माता चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्रमां विराजमान है, जिस कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें शांति व समृद्धि प्रदान करती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां चंद्रघंटा संसार में न्याय व अनुशासन स्थापित करती हैं। मां चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। शिव जी से विवाह करने के बाद मां ने अपने मस्तक पर अर्धचंद्र सजाना शुरू कर दिया था, इसीलिए मां पार्वती को मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
देवी चंद्रघंटा की पूजा से मिलती है आध्यात्मिक शक्ति
आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि देवी चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन जो भी माता के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करता है, उन सभी को माता की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन माता की पूजा के लिए सबसे पहले कलश की पूजा करके सभी देवी देवताओं और माता के परिवार के देवता, गणेश, लक्ष्मी, विजया, कार्तिकेय, देवी सरस्वती एवं जया नामक योगिनी की पूजा करें। इसके बाद फिर मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करें।
इन मंत्रों का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
खीर का लगाएं भोग
नवरात्रि के तीसरे दिन माता की पूजा करते समय माता को दूध या दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है।
मां को भोग लगाने के बाद दूध का दान भी किया जा सकता है और ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दान में दें। माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।