शनिदेव को करना चाहते हैं प्रसन्न तो शनिवार के दिन करें इन मंत्रों का जाप, मिलेगा लाभ
शनि ग्रह को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है. शनि देव की साढ़े साती, ढैय्या और महादशा जीवन में अनेक कष्टों का कारण बन सकती है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. शनि ग्रह हिंदू ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है. शनि ग्रह को शनि देव की उपासना का प्रतिनिधित्व करता है और इसे शनिवार का पति भी कहा जाता है. शनि ग्रह का संबंध कर्म, न्याय, धर्म, और संघर्ष से होता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति शुभ हो, तो वह उसे समृद्धि, स्थिरता, और सफलता की ओर ले जाती है. हालांकि, अगर शनि का प्रभाव अशुभ हो, तो व्यक्ति को कठिनाईयों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
1. ॐ शं शनैश्चराय नमः
अर्थ: मैं शनि देव को नमन करता हूं. वे न्याय और कर्म के देवता हैं. वे मेरे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्रदान करें.
लाभ: इस मंत्र का जाप करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन के कष्टों को दूर करते हैं. यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में भी मदद करता है.
2. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम. छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्..
अर्थ: मैं नीले रंग का, सूर्य पुत्र, यमराज का बड़ा भाई, छाया और सूर्य से उत्पन्न शनि देव को नमन करता हूं.
लाभ: इस मंत्र का जाप करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सफलता मिलती है. यह मंत्र मन को शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है.
3. ॐ प्रणव ऋषये नमः. ॐ जपाय जपाय नमः. ॐ शनिश्चराय नमः
अर्थ: मैं ऋषि प्रणव को नमन करता हूं. मैं जपाय मंत्र का जाप करता हूं. मैं शनि देव को नमन करता हूं.
लाभ: इस मंत्र का जाप करने से शनि देव की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. यह मंत्र मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक होता है. शनि मंत्र का जाप करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
शनि मंत्र का जाप शनिवार के दिन करना अधिक शुभ माना जाता है. मंत्र जाप स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर शांत मन से करें. मंत्र जाप 108 बार या 11 बार माला से करें. मंत्र जाप करते समय धूप जलाएं और शनि देव की पूजा करें. शनि ग्रह का उपासना करने से व्यक्ति को धैर्य, समर्पण, और समय की महत्वता का ज्ञान होता है. यह उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है और उसे सफलता की दिशा में अग्रसर करता है. शनि ग्रह की उपासना के द्वारा, व्यक्ति अपने कार्यों में सततता और संघर्ष की भावना से उन्नति करता है.