संविधान में आरक्षण आदिवासियों का ऑक्सीजन है-के आर शाह
भिलाई /भाजपा की मोदी सरकार देश के मौजूदा संविधान को परिवर्तित कर तानाशाही शासन व्यवस्था लागू करना चाहती है अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस दिल्ली द्वारा नियुक्त छत्तीसगढ़ में पर्यवेक्षक तथा आदिवासी विकास परिषद प्रदेश अध्यक्ष के. आर. शाह ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि भारत का संविधान खतरे में है। देश का लोकतंत्र खतरे में है और इसे बचाने के लिए सभी प्रकार के सामाजिक संगठनों को मुखर होकर आगे आना होगा। वर्तमान भाजपा की मोदी सरकार वास्तव में कार्पोरेट सरकार है जो कुछ चुनिन्दा उद्योगपतियों के हाथो की कठपुतली बन गई है। इस सरकार से सबसे बड़ा खतरा देश के आदिवासियों और उसके जल, जंगल, जमीन को है। श्री शाह ने कहा कि वर्ष 2023 में मोदी सरकार ने वन सरंक्षण अधिनियम में संशोधन कर पांचवी अनुसूची वाले आदिवासी क्षेत्रों की भूमि को बिना ग्राम सभा अनुमति के अधिग्रहित करने का कानून संसद में पास करा लिया है। मोदी सरकार पुनः सत्ता में आयेगी तो बस्तर और सरगुजा की जमीने उद्योगपतियों को दे दी जायेगी।
देश तेजी से अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहा है। स्वायत्त संस्थाओं पर शासन का पूर्णतया नियंत्रण है। देश में एक प्रकार से अघोषित आपातकाल की स्थिति है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को भी स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने से रोका जा रहा है। सारा विपक्ष भयभीत है। मध्य भारत की इकलौती आदिवासी झारखण्डी सरकार के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जमीन घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार कर जेल में डाल रखा है। मामला राजस्व से संबंधित है लेकिन कार्यवाही ईडी कर रही है, इससे स्पष्ट पता चलता है कि केन्द्र सरकार अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर राजनैतिक विद्वेष फैला रही है।
श्री शाह ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान सरगुजा में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आदिवासियों की सभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि, मेरे रहते आदिवासियों के जंगल और जमीन को कोई माईका लाल आंख उठाकर नहीं देख सकता। आपका बेटा आपके जंगल और जमीन की रक्षा करेगा। लेकिन सत्ता में बैठते ही भाजपा की डबल इंजन सरकार ने हसदेव अरण्य की विशाल हरी भरी भूमि के लाखों वृक्षों को काटकर मरूस्थल में तब्दील कर दिया। मोदी सरकार के 10 सालों आदिवासियों के लिए एक भी ऐसा कार्य नही किया गया, जिसे माइलस्टोन कहा जा सके।श्री शाह ने कहा कि वर्तमान लोकसभा चुनाव भारत के आदिवासियों के अस्तित्व को संरक्षित रखने वाला चुनाव है। आदिवासी के जल जंगल, जमीन को बचाने का चुनाव है।
2024 को लोकसभा चुनाव देश के आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों के भविष्य से जुड़ा है। यदि भाजपा की मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आती है तो वर्तमान संविधान में भारी फेरबदल या उसे बदलने की संभावना अधिक है
सार्वजनिक क्षेत्रों की सभी औद्योगिक ईकाइयां प्रायवेट सेक्टर को दे दी जायेगी ।
छत्तीसगढ़ की शान भिलाई स्टील प्लांट अडानी को दे दिया जायेगा। एन.टी.पी.सी., एन. एम.डी.सी. जैसे सरकारी संस्थान निजी हाथों में दे दिये जायेंगे। देश व राज्य को इस भावी महासंकट से सिर्फ कांग्रेस पार्टी और उसका गठबंधन ही बचा सकता है।
जब तक कांग्रेस पार्टी रहेगी तब तक कोई भी तानाशाह शासक बाबा साहब अम्बेडकर से संविधान को हटा नहीं सकता । इस वार्ता में के आर शाह, पूर्व महापौर नीता लोधी, एमआईसी सदस्य सीजू एंथोनी, संदीप निरंकारी, अतुल चंद साहू, आर एस वर्मा, जानिसार अख्तर, लक्ष्मी वर्मा अनुसुइया मरकाम मौजूद थे