October 6, 2024

इंसान का शरीर कितनी गर्मी झेल सकता है? क्या होता है जब पारा जाता है सुपर से ऊपर?

दिल्ली और उत्तर भारत के कई इलाकों में तो मानो आग ही बरस रही है! मई के दूसरे हफ्ते के बाद से ही कई इलाकों में भीषण लू का कहर जारी है. राजधानी दिल्ली में तो कुछ इलाकों में पारा 48-49 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है, वहीं राजस्थान में कुछ जगहों पर पारा 50 डिग्री सेल्सियस को भी छू चुका है. लू लगने और इससे जुड़ी बीमारियों से उत्तर भारत के कई इलाकों में मौतों की खबरें भी सामने आई हैं. ऐसे में अब हर किसी के मन में एक ये ही सवाल उठ रहा है कि आखिर इंसान का शरीर कितनी गर्मी सह सकता है?

एक्सपर्ट यह समझने के लिए ह्यूमिडिटी और ‘वेट बल्ब’ टेम्परेचर का उल्लेख करते हैं कि इंसान का शरीर कितनी गर्मी सहन कर सकता है. वेट बल्ब टेम्परेचर एक मौसम संबंधी शब्द है, जिसका उपयोग सबसे कम तापमान का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसे निरंतर दबाव में हवा में पानी को भाग में बदलकर करके प्राप्त किया जा सकता है. यह तापमान ह्यूमिडिटी को मापने और यह समझने में मदद करता है कि हवा में कितना पानी भाग में बदल सकता है, जो आराम, खेती और मौसम के पैटर्न जैसी चीजों को प्रभावित कर सकता है.

एक्सपर्ट के अनुसार, इंसान का शरीर सामान्य रूप से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर काम करता है. जब तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है, तो शरीर को ठंडा रखने के लिए पसीना आने लगता है. 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास, शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और थकान, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.