वी वाय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. यादव ने स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर उठाए कई सवाल
कहा नोडल अधिकारी ने साजिश कर हॉस्पिटल की लाईसेंस करवाई रद्द
दुर्ग । उतई रोड केन्द्रीय जेल के पास स्थित वी वाय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. विश्वनाथ यादव ने जिला स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली के खिलाफ कई बड़े सवाल उठाए है। उन्होने आरोप लगाते हुए कहा है कि नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्यवाही के आड़ में मोटी राशि की डिमांड पूरी नहीं करने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्यायपूर्ण व मनमानी तरीके से वी वाय हॉस्पिटल का लाईसेंस रद्द कर दिया गया है। इसके पीछे उन्होने स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी अनिल शुक्ला को जिम्मेदार ठहराया है। स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही को बड़ी साजिश बताते हुए वी वाय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. विश्वनाथ यादव ने कहा है कि कार्यवाही की हेल्थ डायरेक्टर, कलेक्टर और विधायक से शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई गई है। यह बातें वी वाय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. विश्वनाथ यादव ने मंगलवार को मीडिया से चर्चा में कही। इस दौरान उन्होने पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रमाणिक दस्तावेज के साथ उपलब्ध कराते हुए बताया कि 29 जून 2023 को दोपहर तीन बजे श्रीमती दिलेश्वरी साहू पति महेन्द्र साहू निवासी धमधा को मल्टीआर्गन फेलर (सेेप्टीसिमिया) के इलाज हेतू भर्ती कराया गया था। जिसके इलाज के पूर्व मेरे द्वारा उसके पति को बताया गया कि मरीज की हालत नाजुक है तथा बचने की संभावना नहीं है। क्योंकि उनके पेट में सात महीने का गर्भ दस दिन पहले ही मृत हो गया था। मरीज के पति द्वारा हाईरिस्क फार्म भरकर इलाज हेतु सहमति दी गई,जिसके पश्चात मेरे द्वारा इलाज शुरु किया गया। हालत बिगडऩे पर रात्रि 12 बजे के बाद मरीज को वेन्टीलेटर पर डालना पड़ा। महिला के पति को भी इसकी जानकारी दी गई, लेकिन इलाज के दौरान सुबह 4 बजकर 10 मिनट पर महिला की मृत्यु हो गई। इसकी नियमानुसार जानकारी नगर निगम को दी गई। डॉ. यादव ने बताया कि इस घटना के छह माह बाद 6 दिसंबर 2023 को सीएमएचओ दुर्ग द्वारा नोटिस मिली। जिसमें मृतक दिलेश्वरी साहू पति महेन्द्र साहू निवासी धमधा के संदर्भ में पूरी जानकारी एवं बेडहेड टिकट इत्यादि की मांग की गई। यह नोटिस डाक द्वारा आठ दिसंबर 2023 को प्राप्त हुआ। इसके उत्तर में हमने 19 पेज का बेडहेड टिकट जांच के पेपर इत्यादि सहित फार्म-4 व फार्म 6 भरकर 11 दिसंबर 2013 को सीएमएचओ कार्यालय में जमा कर दिया। इसके साथ ही कवरिंग लेटर और समरी पेपर भी जमा किए गए। जिसकी पावती ली गई। डॉ. यादव ने बताया कि गर्भवती महिला की मृत्यु की जानकारी पृथक फार्म में भरकर देना है, इसकी जानकारी मुझे नही थी। मेरे अस्पताल की यह पहली मानवीय त्रुटि थी। इसके बाद 20 दिसंबर 2023 को सीएमएचओ कार्यालय से हमे एक और पत्र प्राप्त हुआ। जिसमें उल्लेख किया गया था कि 6 दिसंबर की नोटिस का जवाब नहीं दिया गया है। इसके बाद हमने सारे जवाबी दस्तावेज 2 जनवरी 2024 को पुन: जमा कराए और उसकी पावती ली। इसके बाद सीएमएचओ कार्यालय से 5 जनवरी को विमल वर्मा ने मुझे फोन कर कार्यालय में बुलाया और चर्चा उपरांत सीएमएचओ डॉ. मेश्राम द्वारा मुझे एक माफीनामा लिखने कहा गया। जिसमें यह दर्शाया गया कि भविष्य में किसी गर्भवती महिला की मृत्यु होती है तो इसकी जानकारी सीएमएचओ कार्यालय में नियमानुसार देनी होगी। मैने माफीनामा लिखा और उसकी पावती भी ली। डॉ. यादव ने बताया कि उसके बाद 18 फरवरी 2024 को सीएमएचओ कार्यालय से फोन आया और 22 फरवरी को मातृत्व मृत्यु के सबंध में कार्यालय सभागार में दोपहर 3 बजे मीटिंग में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया। जब मैं मीटिंग में पहुंचा तब मेरे प्रकरण के अलावा सात अन्य इसी तरह के प्रकरण की सुनवाई हो रही थी। मेरे अस्पताल के मरीज के संदर्भ में यह पाया गया कि धमधा पीएचसी की अत्याधिक लापरवाही के कारण ही महिला मरीज की हालत नाजुक और गंभीर हुई थी। इस दौरान डॉ मेश्राम ने कहा कि मरीज को किसी भी स्थिति में बचाया नहीं जा सकता था। इसके बाद 22 फरवरी को कलेक्टर दुर्ग व्दारा वी वाय अस्पताल का लाइसेंस मातृत्तव मृत्यु एवं पेनाल्टी जमा नही करने के कारण रद्द कर दिया गया। उसकी जानकारी 23 फरवरी 2024 को रायपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र में छपी खबर से मिली। मैने तत्काल सीएमएचओ डॉ. मेश्राम से संपर्क किया और कहा कि आपके आदेशानुसार माफीनामा जमा कर लेने के बाद कार्यवाही क्यों की गई है, इसका कृपया कारण बताए। उन्होंने मुझे कलेक्टर से संपर्क करने के लिए कहा। मैने 23 फरवरी को 11 बजे कलेक्टर सेें मुलाकात की। उन्होने मुझे 20 हजार पेनाल्टी जमा नहीं करने की बात कही। मैनेे कहा कि मुझे पेनाल्टी जमा करने का कोई पत्र नही मिला है। मेरे अस्पताल को एक माह तक बंद रखने का आदेश दिया गया। 23 फरवरी को मैने पेनाल्टी जमा कराई और अस्पताल के लाइसेंस को बहाल करने का अनुरोध किया। लेकिन अभी तक कोई पहल नही की गई है। श्री यादव का कहना है कि मुझे पेनाल्टी जमा करने का कोई भी पत्र पोस्टल से नहीं भेजा गया है। आरटीआई में भी इसकी जानकारी मुझे नही दी गई है। उन्होंने बताया कि इसके बाद 20 मार्च 2024 को संचालनालय स्वास्थ्य सेवाए में मैने कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध अपील की। 22 अप्रैल 2024 को मुझे अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। मैं वहां उपस्थित हुआ। लेकिन दूसरा पक्ष दोपहर दो बजे तक नहीं आया। मुझे कहा गया कि आपको अपना पक्ष रखने पुन: सूचित किया जाएगा। 30 अप्रेल 2024 को रायपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र में खबर छपी कि मेरी अपील खारिज कर दी गई है, जबकि मेरा पक्ष सुना ही नही गया था। श्री यादव ने इस पूरे घटनाक्रम को वसूली के षड्यंत्र का हिस्सा बताते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और न्याय की गुहार लगाई है।
डॉ. यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रकरण में कार्यवाही की प्रक्रिया के बीच नोडल अधिकारी अनिल शुक्ला द्वारा मोटी राशि की डिमान्ड की गई थी। साथ ही उन्होने बताया कि नोडल अधिकारी को डायरेक्ट नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार कलेक्टर व सीएमओं को हैं,लेकिन नोडल अधिकारी अनिल शुक्ला डायरेक्ट अस्पतालों को नोटिस जारी कर रहे हैं। डॉ. यादव ने बताया कि वी वाय हॉस्पिटल के जिस लाइसेंस को निरस्त किया गया है,वह 2021 में रद्द हो चुका है। यह लाइसेस 2019 में 14 बेड का बना था। 2021 में उन्होने 22 बेड का नया लाइसेंस लिया है। यह लाइसेंस उनके पास सुरक्षित हैं। इसके आधार पर वे अपना हॉस्पिटल फिर शुरु कर सकते है, लेकिन कलेक्टर के आदेश के पालन को उन्होने प्राथमिकता दी है। उन्हें कलेक्टर से न्याय की उम्मीद है। डॉ. यादव का कहना है कि अस्पताल के बंद होने से स्टाफ की आजीविका प्रभावित होने के साथ लोगों को उपचार का लाभ नही मिल पा रहा है। मीडिया से चर्चा के दौरान डॉ. मनीषा वर्मा, सीताराम ठाकुर,अनूप मिश्रा भी मौजूद थे।