राहुल गांधी बोले, मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र संवेदनशील नहीं, पीड़ितों का दर्द मैंने महसूस किया
मणिपुर के दौरे पर पहुंचे लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने राज्य के लोगों से मिलने के बाद इंफाल में प्रेसवार्ता की. उन्होंने कहा, “…समस्या शुरू होने के बाद से मैं तीसरी बार यहां आया हूं और यह एक जबरदस्त त्रासदी है. मैं स्थिति में कुछ सुधार की उम्मीद कर रहा था लेकिन मुझे निराशा हुई. यह पर स्थिति अभी भी वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए. मैंने शिविरों का दौरा किया और वहां के लोगों को सुना, उनका दर्द सुना, मैं यहां उनकी बात सुनने, उनमें विश्वास पैदा करने और विपक्ष में रहने वाले व्यक्ति के रूप में आया हूं.” राहुल गांधी ने कहा, ‘यहां समय की मांग है कि शांति कायम हो. हिंसा से हर किसी को नुकसान पहुंचा है, संपत्ति नष्ट हो गई है, परिवार के सदस्य मारे गए हैं. मैंने ऐसा कभी नहीं देखा.’
उन्होंने कहा, राज्य पूरी तरह से दो हिस्सों में बंट गया है और इसमें शामिल सभी लोगों के लिए यह एक त्रासदी है. मैं मणिपुर के सभी लोगों को बताना चाहता हूं, मैं यहां आपके भाई के रूप में आया हूं, मैं यहां ऐसे व्यक्ति के रूप में आया हूं जो चाहता है आपकी मदद करे, जो मणिपुर में शांति वापस लाने के लिए आपके साथ काम करना चाहता है…”
हमें लगता है कि यहां पर सुधार नहीं हुआ: राहुल गांधी
राहुल ने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि यहां पर सुधार हुआ है. मैं पीएम मोदी से ये कहना चाहता हूं कि मणिपुर एक प्रदेश है. उनको बहुत पहले यहां पर आना था. मणिपुर ये चाहता है कि देश का पीएम यहां पर आए और जनता के दुख दर्द को सुने. इससे मणिपुर के लोगों को काफी लाभ होगा.
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने राज्य के कई स्थानों पर राहत शिविरों का दौरा किया. वहां रह रहे जातीय हिंसा के पीड़ितों से चर्चा की. इसके बाद राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिले. बीते साल मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद राहुल का यह तीसरा दौरा है. राज्य में बीते साल मई से अब तक हिंसा की वजह से विस्थापित लोग इन राहत शिविरों में रह रहे हें. अब तक हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.