November 21, 2024

‘समय-समय पर बढ़ता है वेतन तो माना जाएगा परमानेंट कर्मचारी’, MP हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि गैर-सरकारी नौकरी में वक़्त-वक़्त पर वेतन वृद्धि या सालाना वेतन वृद्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति को स्थायी कर्मचारी माना जा सकता है। इस फैसले के साथ ही, अदालत ने सड़क दुर्घटना के मुआवजे की राशि में वृद्धि के लिए दायर की गई पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया। उच्च न्यायालय ने मुआवजे में 2.7 लाख रुपये से अधिक की वृद्धि की है।

क्या है मामला?
इस मामले में याचिकाकर्ता अंजुम अंसारी ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत एक दावे में ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे को चुनौती दी थी। अंजुम ने तर्क किया कि उसे अधिक मुआवजा प्राप्त होना चाहिए क्योंकि उसके दिवंगत पति, जो राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश की अम्ब्रेला टेक विश्वविद्यालय) से संबद्ध एक निजी कॉलेज में शिक्षक थे, स्थायी कर्मचारी थे।

याचिका में यह दावा किया गया कि चूंकि दिवंगत पति कॉलेज के स्थायी कर्मचारी थे, इसलिए ‘भविष्य की संभावनाओं’ की राशि की गणना 10 प्रतिशत की जगह 15 प्रतिशत की दर से की जानी चाहिए। दूसरी ओर, प्रतिवादी पक्ष ने तर्क किया कि केवल सरकारी कर्मचारी ही स्थायी कर्मचारी माने जाते हैं, और निजी कॉलेज के कर्मचारी को इसी आधार पर नहीं लिया जा सकता।

जस्टिस एके पालीवाल ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी बनाम प्रणय सेठी के मामले में पांच जजों की पीठ के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति ऐसी नौकरी में है जिसमें उसका वेतन वक़्त-वक़्त पर बढ़ता है या उसे वार्षिक वेतन वृद्धि प्राप्त होती रहती है, तो उसे स्थायी नौकरी में माना जाएगा। जस्टिस पालीवाल ने यह भी कहा कि ट्रिब्यूनल कोर्ट ने कानून के अनुसार भविष्य की संभावनाओं की गणना 10 प्रतिशत की जगह 15 प्रतिशत पर करने में गलती की है, और अंजुम को 2,72,260 रुपये की अतिरिक्त राशि देने का आदेश दिया। अब याचिकाकर्ता को कुल 36.9 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा।