November 23, 2024

शादी बाद ऐसे करें पहली हरियाली तीज का व्रत, वैवाहिक जीवन में बढ़ती रहेगी खुशियां!

हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए करती है. वहीं कुवारी लड़किया इस व्रत को मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं. सुहागिन महिलाओं और कुंवारी लड़कियों के लिए इस व्रत की पूजा विधि भी अलग होती है. हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं से जुड़े सभी व्रत और त्योहारों को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इन उपवासों को रखने से सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हरियाली तीज को हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन महादेव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था.

हरियाली तीज व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को रखा जा रहा है. इस तिथि की शुरुआत 6 अगस्त 2024 शाम 7 बजकर 42 मिनट पर हो रही है. इसका समापन 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजे होगा.

कैसे करें हरियाली तीज व्रत पूजा?

शादी के बाद पहली बार इस उपवास को रखने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. शादी के बाद पहली बार हरियाली तीज का व्रत रखने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. उसके बाद हरे रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए. 16 श्रृंगार धारण कर लें. उसके बाद फिर पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें. चौकी पर पीले रंग का कपड़ा डालकर भगवान शंकर और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें. उसके बाद विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करे. हरियाली तीज व्रत की कथा सुननी चाहिए. आरती करनी चाहिए. उसके बाद खुशहाल जीवन की कामना के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करें.

हरियाली तीज व्रत पूजा सामग्री

शादी के बाद पहली बार हरियाली तीज व्रत के लिए कुछ खास सामग्रियों को शामिल किया जाता है. जैसे गंगाजल, पूजा की चौकी, तांबे और पीतल का कलश, दूध, दही, घी शहद, शक्कर, पान, सुपारी, जनेऊ, कपूर, आक का फूल, कपूर, दूर्वा, जटा वाला नारियल, बेलपत्र, अबीर, चंदन, मौली, इत्र, गुलाल, अक्षत, धूप, दीपक, शमी का पत्ता, धतूरे का फल, हल्दी, भांग, धतूरा, भस्म, पांच प्रकार के फल, मिठाई, पांच पल्लव, दक्षिणा, व्रत कथा की पुस्तक. इसके अलावा माता पार्वती को श्रृंगर को चढ़ाने के लिए समाग्री जैसे कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, माहौर, साड़ी.

हरियाली तीज व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में दोबारा जन्म लिया. माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना कर ली थी. विवाह योग्य होने पर उनके पिता पार्वती के लिए वर की तलाश करने लगे. उन्होंने विष्णु जी को सुयोग्य वर चुना लेकिन माता पार्वती चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थी. देवी पार्वती एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने लगीं और भूखे-प्यासे रोजाना शिव की पूजा करती. सालों तक कठोर तप के बाद देवी पार्वती की फलस्वरूप भगवान शिव पति के रूप में मिले. हरियाली तीज के दिन ही शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद दोनों का विवाह रचाया गया.

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