कौन करता है भारत बंद का एलान… जानिए इसका पूरा विस्तार
बुधवार को दलित और आदिवासी संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया। यह बंद सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ किया गया है, जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने की बात कही गई है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस नामक संगठन ने इस फैसले को दलितों और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया और केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है।
भारत बंद करने का अधिकार:
भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां हर नागरिक को अपनी बात कहने का अधिकार है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 के तहत नागरिकों को कई अधिकार मिले हैं। आर्टिकल 19 (ए) भारतीयों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है। वहीं, सेक्शन-बी के तहत लोग शांतिपूर्वक बिना किसी हथियार के कहीं पर इकट्ठा हो सकते हैं। इसी आधार पर संगठन भारत बंद का ऐलान कर सकते हैं।
प्रदर्शन के कानूनी पहलू:
भारतीय संविधान में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की अनुमति है, लेकिन इसमें हथियार शामिल नहीं हो सकते। कानून के तहत कार्रवाई तब होती है जब यह प्रदर्शन हिंसक हो जाते हैं। हिंसा की स्थिति में अलग-अलग धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं, जिनकी सजा भी अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, अगर भारत बंद के दौरान प्रदर्शनकारी किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, तो उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इस कानून के तहत सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर पांच साल तक की कैद और जुर्माना लगाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की पहल:
सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए स्वतः संज्ञान लिया और 2007 में इसके लिए कमेटी बनाई। पहली कमेटी जस्टिस थॉमस और दूसरी नरीमन कमेटी थी। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद यह मामला बहुत प्रभावी नहीं हो पाया। इसके बाद, जब देश में दंगे और प्रदर्शनों की संख्या में तेजी आई, तो सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल बनाने का सुझाव दिया। इसका उद्देश्य था कि पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से वसूली की जा सके।
उत्तर प्रदेश का उदाहरण:
उत्तर प्रदेश में CAA के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश कम्पनसेशन फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट 2020 नामक कानून लाया। इस कानून के तहत अगर दंगाइयों की वजह से संपत्ति को नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई उन्हीं से कराई जाएगी। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां शांतिपूर्वक प्रदर्शन और भारत बंद का अधिकार है। लेकिन जब ये प्रदर्शन हिंसक हो जाते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाती है। इसलिए, जब भी कोई प्रदर्शन या भारत बंद का आयोजन किया जाता है, तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में हो। इससे न केवल प्रदर्शनकारियों की मांगें सुनी जा सकती हैं, बल्कि देश की संपत्ति और आम जनता की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।