September 20, 2024

क्या त्योहार से पहले महंगा होगा खाद्य तेल?

मध्यप्रदेश के व्यापारियों के दवाब में केंद्र सरकार एक और निर्णय बदलने का निर्णय ले सकती है। अब खाद्य तेलों के आयात पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी होने की संभावना है। इससे त्योहार के पहले खाद्य तेल के दामों में उछाल देखा जा सकता है। इससे पहले प्रदेश के कारोबारियों के दबाव में ही सरकार ने काबुली चने पर स्टाक लिमिट हटाने का निर्णय लिया था। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने भी खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का सुझाव दिया है। मंत्रालय ने इसके पीछे स्वदेशी तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा को इसका कारण बताया गया है।

बीते समय दिनों सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने यहां केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान से मुलाकात की थी। सोपा लंबे समय से आयातित तेलों पर ड्यूटी बढ़ाने की मांग कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि, इससे किसानों को अपने उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्राप्त हो सकेगा और स्वदेशी तेल उद्योग से भी दबाव हटेगा। वर्तमान समय में क्रूड पाम तेल, सोयाबीन तेल तथा क्रूड सूरजमुखी तेल पर 5.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है। इसमें सेस भी शामिल है। इसी तरह रिफाइंड खाद्य तेल पर 13.75 प्रतिशत का सीमा शुल्क प्रभावी है।

इस बीच मध्यप्रदेश में सोयाबीन के किसान सोयाबीन के घटते दाम से नाराज है।  किसानों का मानना है कि, सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी नहीं होती है तब तक तिलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित-प्रोत्साहित करना मुश्किल है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले काबुली चने पर स्टाक लिमिट भी प्रदेश के व्यापारियों की मांग पर हटाई गई थी। अब केन्द्र सरकार द्वारा शीघ्र ही 6800 करोड़ रुपए वाले राष्ट्रीय तिलहन मिशन की घोषणा किए जाने की उम्मीद है। ऐसे में स्थानीय उपज के अच्छे दाम के लिए सरकार आयात शुल्क बढ़ा सकती है।