क्षत्रिय महासभा ने बीमार ग्रसित को 55966 रुपए का आर्थिक मदद दिया।
लोरमी सुक्षेत्रे वापयेद्बीजं सुपात्रे निक्षिपेत् धनम् ।
सुक्षेत्रे च सुपात्रे च ह्युप्तं दत्तं न नश्यति ॥
अच्छे खेत में बीज बोना चाहिए, सुपात्र को धन देना चाहिए । अच्छे खेत में बोया हुआ और सुपात्र को दिया हुआ, कभी नष्ट नहीं होता ।
समाज के दूरस्थ निवासरत अमलीभाटा लपटी निवासी श्री जगन्नाथ सिंह राजपूत जी हार्निया में आपरेशन और ऋण की हड्डी में परेशानी से इलाज करने में असमर्थ था। उनकी पत्नी का विश्वास था भी स्वास्थ्य खराब रहता है इस विषम परिस्थिति में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा छत्तीसगढ 1897 द्वारा *55966₹* शब्दों में
*पचपन हजार नौ सौ छैसठ रुपए मात्र* मदद किया गया। संजय सिंह राजपूत ने कहा कि दान मनुष्य का स्वाभाविक गुण होना चाहिए। अपनी कमाई का कुछ हिस्सा समाज की जरूरतमंद लोगों के लिए देकर के आंसू पोछने का प्रयास हम सब करें। लोग कमियां ढूंढना बुराई ढूंढना अपना जीवन का मकसद न बनाकर के किसी दिन दुखी के लिए खड़ा होकर उनके विपरीत परिस्थिति में हारे का सहारा बने। हमारा उद्देश्य निंदा करना बुराई करना दूसरों की कमियां निकालना चारी चुगली के लिए ना होकर मानवता की सेवा के लिए हुआ है इसलिए हम सब की प्रयास होने चाहिए कि समाज में कोई भी व्यक्ति लाचारी से ना रहे। इस अवसर पर पूनम सिंह, रामकुमार सिंह, महावीर सिंह,उमेश सिंह, शेर सिंह,हृदय सिंह, अशोक सिंह, सालिक सिंह, सुदर्शन सिंह,धर्मजीत सिंह,धर्मेंद्र सिंह, हिमांशु सिंह आदि उपस्थित रहे।