पीएम मोदी समेत दिग्गजों ने ‘वीर बाल दिवस’ की देशवासियों को दी शुभकामनाएं
नई दिल्ली, 26 दिसंबर । आज देश वीर बाल दिवस मना रहा है। भारत मंडपम में 17 बहादुर बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं ने शुभकामनाएं दी हैं। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज वीर बाल दिवस पर हम साहिबजादों की अद्वितीय वीरता और बलिदान को याद करते हैं। छोटी उम्र में वे अपने विश्वास और सिद्धांतों पर दृढ़ रहे और पीढ़ियों को अपने साहस से प्रेरित किया। उनका बलिदान वीरता और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है। हम माता गुजरी जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की बहादुरी को भी याद करते हैं। वे हमेशा हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और दयालु समाज के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन करें।” वहीं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने एक्स पोस्ट पर लिखा, “धर्म की रक्षा हेतु अपना जीवन अर्पण करने वाले वीर बाल साहिबजादों की शहादत को कोटि-कोटि नमन। वीर जोरावर सिंह जी और वीर फतेह सिंह जी के महान बलिदान को यह कृतज्ञ राष्ट्र कभी नहीं भूलेगा।” पहली बार गणतंत्र दिवस के बजाय देश के बाल पुरस्कार 26 दिसंबर को दिए जाएंगे। राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के अवसर पर इस बार पुरस्कृत होने वाले सभी 17 बच्चों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी। प्रत्येक विजेता को पदक, प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र पुस्तिका दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी वीर बाल दिवस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। इस बार 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 17 बच्चों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें 7 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं। वीर बाल दिवस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम 26 दिसंबर 2024 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुपोषित पंचायत योजना का शुभारंभ करेंगे और मार्च पास्ट को हरी झंडी दिखाएंगे। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी उद्घाटन भाषण देंगी। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं और गणमान्य व्यक्तियों सहित लगभग 3,500 बच्चे भाग लेंगे। वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से सिख गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को समर्पित है। इन दोनों साहिबजादों ने छोटी उम्र में मुगल साम्राज्य के अत्याचारों का सामना करते हुए शहादत दी थी।